New Delhi/Alive News : सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बड़े पैमाने पर निजीकरण किया जा रहा है। इसको लेकर आरबीआई ने सरकार को ध्यान से आगे बढ़ने की सलाह दी है। केंद्रीय बैंक ने एक लेख में कहा कि निजी क्षेत्र के बैंक (पीवीबी) लाभ को अधिकतम करने में अधिक कुशल हैं। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में बेहतर प्रदर्शन किया है। लेख के मुताबिक निजीकरण नई अवधारणा नहीं है।
जानकारी के अनुसार इसके फायदे व नुकसान सभी जानते हैं। पारंपरिक दृष्टि से सभी दिक्कतों के लिए निजीकरण प्रमुख समाधान है, जबकि आर्थिक सोच ने पाया है कि इसे आगे बढ़ाने के लिए सतर्क दृष्टिकोण जरूरी है। सरकार ने 2020 में 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों का चार बड़े बैंकों में विलय कर दिया था। इससे सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई है, जो 2017 में 27 थी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं, आरबीआई के नहीं।
आरबीआई के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है। आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण मुद्रा भंडार में 70 अरब डॉलर की गिरावट आई है।