November 23, 2024

जानें कब है पहला सोम प्रदोष व्रत, महत्व और पूजा विधि

इस माह 7 जून को प्रदोष व्रत रखा जाएगा, वहीं इस दिन सोमवार होने के कारण इसे सोम प्रदोष माना जाएगा। दरअसल, हिन्दू पंचांग के मुताबिक हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा लाभकारी मानी जाती है। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से बिगड़े काम बन जाते हैं। इसके साथ ही घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास रहता है। इस बार जून माह का पहला प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है। प्रदोष व्रत भोलेशंकर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले जातकों की मनोकामनाएं भोलेनाथ पूरी करते हैं और पाप-कष्टों का नाश होता है।

व्रत का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार यह प्रदोष व्रत जून माह का पहला प्रदोष व्रत होगा। जो ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 7 जून को सुबह 08 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 08 जून 2021 दिन मंगलवार को सुबह 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक होता है।

पूजा विधि
प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और आराधना करनी चाहिए। इसके बाद घर के ही पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए। पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बनाना चाहिए और आटे व हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार व्रती को आसन पर बैठकर सभी देवों को प्रणाम करने के बाद भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए। इसके बाद मां पार्वती को श्रृंगार का समाना अर्पित करें।