November 23, 2024

जानिए क्या है मजदूर दिवस का इतिहास और क्यों समर्पित है मजदूरों को ये दिन

New Delhi/Alive News: आज के दिन को लेबर डे, मई दिवस, श्रमिक दिवस के नाम से भी जाना जाता है। पिछले 132 साल से अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। मजदूर दिवस का दिन ना केवल श्रमिकों को सम्मान देने के लिए होता है, बल्कि इस दिन मजदूरों के हक के प्रति आवाज भी उठाई जाती है। जिससे कि उन्हें समान अधिकार मिल सके।

कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत
इस दिन को मनाने की शरुआत 1 मई 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन के कारण शुरू हुई थी। एक मई के ही दिन अमेरिका के हजारों मजदूरों ने अपने काम की स्थितियां सुधारने के लिए हड़ताल शुरू की थी। वे चाहते थे कि उनके काम करने का समय एक दिन में 15 घंटे से घटाकर 8 घंटे कर दिया जाएं। इस आंदोलन के दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली भी चलाई।

जिसके कारण कुछ मजदूरों की मौत हो गई वहीं 100 से ज्यादा मजदूर इस आंदोलन के चलते घायल भी हुए। अपनी मांगों को मनाने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा लेकिन अंततः उन्हें सफलता मिली और तब से एक मई मजदूरों के लिए प्रतीक का दिन होता गया। वहीं अगर अपने देश भारत की बात की जाए तो हमारे देश में लेबर डे की शुरुआत 1923 में चेन्नई में हुई थी।

इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने मद्रास में की थी। इस दिन पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के रूप में उपयोग में लाया गया था। उस वक्त इसे मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। सिंगरावेलू चेट्यार की अध्यक्षता में मद्रास हाई कोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया गया और यह संकल्प लिया गया कि ये मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। इसके बाद से ही भारत में एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में श्रमिक दिवस के तौर पर मनाया जाएगा।

मजदूर दिवस का उद्देश्य
हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने का मकसद मजदूरों की उपलब्धियों का सम्मान करना और उनके योगदान को याद करना है। साथ ही उनके अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करना और उनके खिलाफ हो रहे शोषण को रोकना भी है।