अपने घर के आसपास कूड़ा बीनते कई बच्चों को आपने देखा होगा. पर कभी आपने उनसे बात करने की कोशिश की है? उनसे कभी उनके सपनों के बारे पूछा है? आपका उत्तर संभवत: ना में ही होगा.
आज हम आपको एक ऐसे ही बच्चे की कहानी बताने वाले हैं जो आज दुनिया का मशहूर फोटोग्राफर बन गया है और उसकी किताबों से लोग फोटोग्राफी का हुनर सीखते हैं. लेकिन एक वक्त था, जब वह कूड़ा बीनने का काम करता था.
बचपन में कूड़ा बीनने वाले उस मशहूर फोटोग्राफर का नाम है विकी रॉय. विकी का जन्म पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुआ था. घर में गरीबी और मारपीट का माहौल था, इसलिए विकी घर से भाग गया. लेकिन भागने से पहले उसने अपने चाचा के 900 रुपये चुराए और रेल टिकट लेकर दिल्ली पहुंच गया.
दिल्ली आने पर वह कूड़ा बीनने वाले बच्चों के साथ मिलकर अपना गुजारा करने लगा. फिर एक रेस्टोरेंट में काम मिल गया. वहीं एक ग्राहक ने विकी को ‘सलाम बालक ट्रस्ट’ से संपर्क कराया.
इस ट्रस्ट की मदद से विकी को 6वीं क्लास में एडमिशन मिल गया और जैसे-तैसे उसने 10वीं क्लास पास कर ली. विकी ओपन लर्निंग के एक संस्था में जाता था जहां उसकी मुलाकात दो फोटोग्राफर से हुई.
दरअसल, वहां फोटोग्राफर्स बच्चों को फोटोग्राफी की ट्रेनिंग देते थे, विकी भी ये सब देखने लगा और अपनी दिलचस्पी की वजह से वह अनौपचारिक रूप से ही बहुत कुछ सीख गया.
फिर एक दिन साल 2004 में डिक्जी बेंजामिन सलाम बालक ट्रस्ट आए. विकी के सामने जब डिक्जी ने असिस्टेंट बनने का ऑफर रखा, तो विकी की खुशी का ठिकाना न रहा. विकी को डिक्जी ने एक कैमरा भी खरीद कर दिया. इसके बाद तो विकी के पांव जमीन पर नहीं थे.
ये दिन था और आज का दिन है, विकी ने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा. साल 2007 में विकी ने सोलो शो किया. साल 2009 में उसे अमेरिका के ‘बाक फाउंडेशन’ के एक मेंटॉरशिप प्रोग्राम के लिए चुन लिया गया.
यहां वह 6 महीने तक न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के पुनर्निमाण के कामों की फोटोग्राफी करता रहा. यहां उसने जो काम किया वह बहुत सारे अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों का हिस्सा बना.
लंदन के व्हाइटचैपल गैलरी और स्वीटजरलैंड के फोटोम्यूजियम जैसी मशहूर जगहों पर भी उसकी फोटोग्राफी ने खूब तारीफें बटोरीं.
विकी अब देश और दुनिया के नामचीन फोटोग्राफर्स में शुमार हो चुके हैं. उनकी पहली किताब साल 2013 में जारी की गई, जिसका शीर्षक था होम, स्ट्रीट, होम, जिसे लोगों ने खासा पसंद किया.
विकी अब अपनी ही तरह आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मदद करते हैं और उन्हें फोटोग्राफी सिखाने का काम भी करते हैं.