बेंच ने खाप पंचायतों के फैसलों को अवैध करार देते हुए कहा कि ऑनर किलिंग पर लॉ कमीशन की सिफारिशों पर विचार हो रहा है। जब तक नए कानून नहीं बन जाता तब तक मौजूदा आधार भी ही कार्रवाई होगी.
New Delhi/Alive News : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दो वयस्कों की शादी पर खाप पंचायतों के किसी भी दखल को गैरकानूनी करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला एक एनजीओ शक्ति वाहिनी की याचिका पर सुनाया। एनजीओ ने ऑनर किलिंग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2010 में याचिका दायर की थी। इससे पहले मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
तीन जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
– खाप पंचायत की याचिका पर तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण भी शामिल थे।
– बेंच ने कहा कि दो अलग समुदायों से आने वाले 2 वयस्क अपनी मर्जी से शादी करते हैं तो उनके किसी रिश्तेदार या तीसरे शख्स न तो उन्हें धमकाने या फिर उन पर हिंसा करने का अधिकार होगा।
– बेंच ने खाप पंचायतों के फैसलों को अवैध करार देते हुए कहा कि ऑनर किलिंग पर लॉ कमीशन की सिफारिशों पर विचार हो रहा है। जब तक नए कानून नहीं बन जाता तब तक मौजूदा आधार भी ही कार्रवाई होगी।
– बता दें कि अभी तक ऑनर किलिंग के मामलों में आईपीसी की धारा के तहत ही कार्रवाई होती है।
गैर-जातीय विवाह को राज्य सुरक्षा दे
– सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने भी कोर्ट को बताया कि गैर-जातीय विवाह की स्थिति में राज्य सरकारों को चाहिए कि वे शादीशुदा जोड़े को सुरक्षा दें। अगर जोड़े को धमकी दी जाती है तो उन्हें मैरिज अफसरों से इस बात की शिकायत करनी चाहिए।
– कोर्ट ने ये भी कहा था कि खाप पंचायतें समाज के पहरेदार की तरह काम न करें। दो वयस्कों की शादी कानून द्वारा तय होती है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने लगाई थी फटकार
– पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था, “चाहे वे पैरेंट्स हों, समाज हो या कोई और वे सब इससे अलग हैं। किसी को भी चाहे वह कोई एक शख्स हो, एक से अधिक लोग हों या समूह उन्हें (बालिगों की) शादी में दखल का हक नहीं है।”
– इससे पहले जनवरी में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बालिग लड़का या लड़की अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं। कोई पंचायत, खाप पंचायत, पैरेंट्स, सोसायटी या कोई शख्स इस पर सवाल नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार खाप पंचायतों पर बैन नहीं लगाती तो कोर्ट एक्शन लेगा।
NGO की पिटीशन पर सुनवाई कर रहा था SC
– सुप्रीम कोर्ट एक गैरसरकारी संगठन शक्ति वाहिनी (एनजीओ) की पिटीशन पर सुनवाई कर रहा था।
– पिटीशन में मांग की गई थी कि इस तरह के अपराधों पर रोक लगनी चाहिए। उत्तर भारत खासतौर पर हरियाणा में कानून की तरह काम कर रही खाप पंचायतें या गांव की अदालतें परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने वालों को सजा देती हैं।
क्या होती है खाप पंचायत?
– खाप लोगों का समूह होता है। एक गोत्र या जाति के लोग मिलकर एक खाप-पंचायत बनाते हैं, जो पांच या उससे ज्यादा गांवों की होती है।
– इन्हें कानूनी मान्यता नहीं है। इसके बावजूद गांव में किसी तरह की घटना के बाद खाप कानून से ऊपर उठ कर फैसला करती हैं।
– खाप पंचायतें देश के कुछ राज्यों के गांवों में काफी लंबे वक्त से काम करती रही हैं। हालांकि, इनमें हरियाणा की खाप पंचायतें कुछ अलग पहचान रखती हैं। कहा जाता है कि खाप की शुरुआत की हरियाणा से ही हुई थी। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी खाप पंचायतें विवादित फैसले करती रही हैं।
खाप पंचायतों के फैसले
– 2014 में यूपी की एक पंचायत ने लड़कियों के जींस पहनने और मोबाइल रखने पर बैन लगा दिया था। पंचायत ने जींस-मोबाइल को यौन शोषण के लिए जिम्मेदार बताया था।
– 2015 में राजस्थान के नोतारा भोपत गांव की खाप ने एक महिला को एक शख्स के साथ रहने का आदेश दिया था। इस शख्स की पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी।