Faridabad/Alive News : राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में महान स्वतंत्रता सेनानी वीर उधम सिंह जयंती पर उन्हें विशेष कार्यक्रम में श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि जलियां बाग वाले नरसंहार का प्रतिशोध वीर उधम सिंह ने लंदन जा कर लिया। उन्होंने कहा कि उधम सिंह भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ डायर लन्दन में जाकर गोली मारी। है। उन्होंने वर्ष 1919 में हुए जलियाँवाला बाग़ में हत्याकांड का प्रतिशोध लेने के लिए पूरे 21 वर्ष तक प्रतीक्षा की। माइकलओ, जनरल डायर जिन्होंने क़दम क़दम पर उस हत्याकांड को उचित ठहराया था। उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गाँव में हुआ था। 1901 में उधमसिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया। इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी।
उधमसिंह का बचपन का नाम शेर सिंह और उनके भाई का नाम मुक्तासिंह था जिन्हें अनाथालय में उधमसिंह और साधुसिंह के रूप में नए नाम मिले। इतिहासकार मालती मलिक के अनुसार उधमसिंह देश में सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे और इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया था जो भारत के तीन प्रमुख धर्मों का प्रतीक है।उधम सिंह को अपने सैकड़ों भाई-बहनों की मौत का बदला लेने का मौका 1940 में मिला। जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में बैठक थी जहां माइकलओ, जनरल डायर भी वक्ताओं में से एक था। उधम सिंह उस दिन समय से ही बैठक स्थल पर पहुँच गए। अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी किताब में छिपा ली। इसके लिए उन्होंने किताब के पृष्ठों को रिवॉल्वर के आकार में उस तरह से काट लिया था, जिससे जनरल डायर की जान लेने वाला हथियार आसानी से छिपाया जा सके।
प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकलओ, जनरल डायर पर गोलियां दाग दीं। दो गोलियां माइकलओ, जनरल डायर को लगीं जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी। उन पर मुकदमा चला। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। स्वतंत्रता सेनानी वीर उधम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा और प्राध्यापिका गीता ने सभी विद्यार्थियों का कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आभार व्यक्त किया।