Uttar Pradesh/Alive News: यूपी के झांसी स्थित मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में आग लगने से 10 नवजात जिंदा जल गए। जबकि 16 जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। घटना को लेकर सरकार सख्त है। मामले में की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी को सात दिन में रिपोर्ट सौंपनी होगी। टीम का नेतृत्व डीजीएमई करेंगे।
बताते चलें कि महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है। इस अस्पताल के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार रात में बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। आग में जलकर 10 बच्चों की मौत हो गई। घटना में अन्य 16 बच्चे घायल होकर जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिस वार्ड में आग लगी, उसमें कुल 55 बच्चे थे।
आग बुझाने के उपकरण एक्सपायर मिले
घटना के बाद के बाद बात अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और अस्पताल में रखे आग बुझाने वाले उपकरण पर पहुंच गई। कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण एक्सपायर हो गए थे और अलार्म खराब थे।
सरकार बच्चों और परिवारों के साथ खड़ी है: सीएम
इसके बाद उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ने कहा, ‘योगी आदित्यनाथ सरकार बच्चों और उनके परिवारों के साथ खड़ी है। हमारे कर्मचारियों, डॉक्टरों और बचाव दल ने बच्चों को बचाने के लिए बहादुरी से काम किया है। मेडिकल कॉलेज में सभी अग्निशमन उपकरण पूरी तरह से ठीक थे। यहां फरवरी में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया गया था। जून में एक मॉक ड्रिल भी आयोजित की गई थी।
मेडिकल कॉलेज में हैं 146 अग्निशामक यंत्र
वहीं, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने भी इन आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा, ‘मेडिकल कॉलेज में कुल 146 अग्निशामक यंत्र लगे हुए हैं। हादसे के वक्त एनआईसीयू वार्ड के अग्निशामक यंत्र का भी इस्तेमाल किया गया था। इन सभी उपकरणों का समय-समय पर ऑडिट भी किया जाता है। इस दौरान जो कमियां सामने आती हैं, उन्हें हटा दिया जाता है।’