एक मंझी हुई तमिल अभिनेत्री का दिग्गज सियासतदान बनने तक का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। इस सफर की कुछ दिलचस्प बातें आप जरूर जानना चाहेंगे।
– जयललिता तमिलनाडु की दूसरी ऐसी महिला हैं जो राज्य की मुख्यमंत्री बनीं।
– राजनीति में आने से पहले उन्होंने तमिल, तेलुगू, कन्नड़, हिंदी और एक अंग्रेजी फिल्म में भी काम किया। उन्होंने तकरीबन 300 फिल्मों में काम किया।
– स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्होंने ‘एपिसल’ नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया।
– जयललिता महज 15 वर्ष की उम्र में कन्नड़ फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी थीं। इसके बाद उन्होंने तमिल फिल्मों में काम करना शुरू किया। तमिल में उनकी धाक ऐसी जमी कि वे तमिल फिल्मों की मुख्य अभिनेत्री मानी जाने लगीं।
– जयललिता दक्षिण भारत की पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर फिल्मों में काम किया।
– साल 1965 से 1972 के दौरान उन्होंने ज्यादातर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की।
– 1982 में एमजी रामचंद्रन के साथ ही उन्होंने सियासी सफर की शुरुआत की। तब से वे 6 बार सूबे की मुख्यमंत्री बनी।
– 1984 से 1989 के दौरान वे तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद भी रहीं।
– राज्यसभा से सांसद बनाए जाने के लिए मुख्य वजह उनकी अंग्रेजी में वाकपटुता थी।
– साल 1987 में रामचंद्रन का निधन हो गया। तब उन्होंने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
– जयललिता का सियासी सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा है। वे पहली दफा जून 1991 से मई 1996 तक राज्य की पहली चुनी और सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं।
– अप्रैल 2011 में उन्होंने 11 दलों के गठबंधन से बहुमत हासिल कर तीसरी बार मुख्यमंत्री का पद संभाला। तब से वे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री हैं।
– दिग्गज राजनीतिज्ञ होने के कारण जयललिता के समर्थक उन्हें ‘अम्मा’ (मां) कहते हैं। राज्य में उन्हें ‘पुरातची तलाईवी’ भी कहकर बुलाया जाता है, जिसका मतलब ‘क्रांतिकारी नेता’ होता है।
– 1997 में जयललिता के जीवन पर एक तमिल फिल्म ‘इरूवर’ आई। इसमें जयललिता की भूमिका ऐश्वर्या राय ने निभाई थी।
– सियासत में आने के बाद उन्होंने कई दफा जनहितैषी और कड़े फैसले भी लिए। जिनके कारण वे विवादों में छाई रहीं।
– 1992 में उनकी सरकार ने सूबे में लड़कियों सुरक्षा के लिए ‘क्रैडल बेबी स्कीम’ शुरू की। इस स्कीम का मकसद अनाथ और बेसहारा लड़कियों को खुशहाल जीवन देना था। जयललिता ने राज्य में ऐसे पुलिस थाने खुलवाए, जहां केवल महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती होती थी।