Faridabad/Alive News : सीएम विंडो पर अनंगपुर जनहित विकास समिति द्वारा करोड़ों की जमीन पर भूमाफिया के अवैध कब्जे की भेजी शिकायत पर सीएम ऑफिस से त्वरित जांच के आदेश जारी किए गए हैं। वहां से आए आदेश के बाद संपदा अधिकारी राजेश कुमार और पटवारी ने जांच भी शुरू कर दी है। 1973 में हुए अधिग्रहण रिकॉर्ड के तहत दिए गए मुआवजे का ब्यौरा निकाला जा रहा है। संपदा अधिकारी ने इस पूरे मामले की जांच को एसडीओ संदीप दहिया और पटवारी नरेंद्र समेत पांच सदस्यीय जांच टीम गठित की है। इसने मंगलवार को मौका मुआयना भी किया। पैमाइश को डीसी से ऑर्डर लिए जाएंगे। इसके बाद अक्श के साथ पैमाइश का कार्य भी शुरू होगा।
1973 में हुई थी जमीन अधिगृहित
हुडा ने बदरपुर-बॉर्डर से गांव कैली तक बाइपास रोड बनाने को ग्रामीणों की मलकियत का अधिग्रहण किया था। अनंगपुर डेयरी की जमीन भी शामिल थी। अधिग्रहण के बाद हुडा ने जमीन का मुआवजा भी किसानों को दे दिया था। हुडा रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 1973 में अनंगपुर डेयरी की जितनी जमीन अधिग्रहण की गई थी, उसमें खसरा नंबर 1655, 1658, 1661, 1660, 1662, 1690, 1654 शामिल थे। मौजूदा समय में इन्हीं खसरा नंबरों के तहत करीब 16 एकड़ भूमि पर कुछ किसान, बिल्डर व भूमाफियाओं के कब्जे हैं।
कैसे उजागर हुआ मामला
अनंगपुर जनहित विकास समिति ने अनंगपुर गांव में हुए चकबंदी घोटाले की शिकायत चकबंदी विभाग में की थी। यह मामला सीएम मनोहर लाल खट्टर के संज्ञान में पहुंचा। अनंगपुर गांव के पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना और पूर्व सहकारिता मंत्री करतार सिंह भड़ाना का गांव है। चकबंदी घोटाले में राजनैतिक लोगों की मिलीभगत की आशंका के चलते इसकी जांच कर नए सिरे से चकबंदी कराए जाने के आदेश दिए थे। गुडग़ांव के मंडलायुक्त डी सुरेश ने जांच शुरू की। इसमें अनंगपुर समेत अनंगपुर डेयरी का चकबंदी रिकॉर्ड भी गलत पाया गया।
पता चला कि जो जमीन अधिग्रहित हुई थी, उस पर मुआवजा लेने वालों का ही कब्जा है। तब विकास समिति ने इसकी शिकायत हुडा अधिकारियों से की। हुडा ने जब कार्रवाई नहीं की तो समिति के पदाधिकारियों ने एक सप्ताह पहले इसकी शिकायत सीएम विंडो पर भेजी थी। वहां से आए आदेश के बाद अब जांच शुरू हो गई है।
अधिग्रहण के बाद होना था म्यूटेशन
वर्ष 1973 में जिस वक्त जमीन का अधिग्रहण हुआ था, उस वक्त हुडा के तत्कालीन पटवारी को म्यूटेशन चढ़ाना था। लेकिन किन्हीं कारणों से म्यूटेशन नहीं किया गया। इसके बाद वर्ष 2012-13 की जमाबंदी के बाद अधिग्रहण की गई जमीन का रिकॉर्ड भी बदल गया।