Faridabad/Alive News : सिटी बल्लभगढ़ थाने में अतिरिक्त थाना प्रभारी का कार्यभार देख रहे इंस्पेक्टर दिनेश कुमार को मुजेसर थाना में पोङ्क्षस्टग दी गई है, वहीं इसी थाने में तैनात इंस्पेक्टर को दूसरी जगह पोङ्क्षस्टग दी गई है। पुलिस आयुक्त डॉ. हनीफ कुरैशी इसे रुटीन तबादला बता रहे हैं, वहीं यह बात भी निकल कर आई कि मुजेसर थाने में तैनात उक्त इंस्पेक्टर दिवाली के दिन पुलिस आयुक्त के पास महंगा गिफ्ट लेकर पहुंचे थे, जिसमें सोने का कोई आभूषण बताया जा रहा है। इसे देखकर पुलिस आयुक्त आग बबूला हो गए थे। उन्होंने न केवल इंस्पेक्टर को जमकर लताड़ लगाई बल्कि उसी वक्त ट्रांसफर के आदेश जारी कर दिए थे। पुलिस आयुक्त ने सभी थाना व चौकी प्रभारियों को पहले ही हिदायत दी थी कि दिवाली पर वे किसी का भी गिफ्ट स्वीकार नहीं करेंगे। सोमवार को दिनेश कुमार ने मुजेसर थाने का प्रभार संभाल लिया। पुलिस आयुक्त डा.हनीफ कुरैशी ने बताया कि तबादले रुटीन प्रक्रिया हैं। कुछ दिन पहले ही थाना प्रभारियों के ट्रांसफर किए गए हैं, उसमें कुछ कमी रह गई थी। इसके बाद यह निर्णय लिया गया। आपको बता दें इंस्पेक्टर ने दूसरी जगह पोस्टिंग की बात सुन ग्रीन फील्ड में किसी संघी को फोन मिलाया। उसके बाद पुलिस आयुक्त के बाद किसी का फोन आया और सारा मामला शांत हो गया।
संघी, थानेदार और ड्रग माफिया की चर्चा
ग्रीनफील्ड से फोन करने वाला शख्स संघ का पदाधिकारी है। खुद को चीफ मिनिस्टर जैसी शख्सियत बताता है। चर्चा है कि संघी का संबंध थानेदार से है। संघी को खुश करने के लिए थानेदार ने जिले के एक बड़े ड्रग माफिया का हाथ मिलाया हुआ है। आपको बता दें कि यह वही ड्रग माफिया है, जिसे कभी सेंट्रल सीआईए में तैनात एक इंस्पेक्टर ने अच्छी खासी नसीहत दी थी। पुलिस आयुक्त दरबार में ही नहीं बल्कि जिला पुलिस में इस प्रकरण के बाद कथित भ्रष्ट संघी, थानेदार और ड्रग माफिया की तिकड़ी को लेकर खूब चर्चा हो रही है।
कब-कैसे-क्या हुआ
पुराने औद्योगिक क्षेत्र के थाने में तैनात एक थानेदार छोटी दिवाली वाले दिन सीपी कार्यालय पहुंचा। सभी थानेदार सीपी के यहां दिवाली की मुबारकबाद के बहाने हाजिरी लगा रहे थे। उक्त थानेदार ने सीपी को मुबारकबाद देते हुए सोने का उपहार भेंट कर दिया। उपहार देखते ही सीपी भडक़ उठे। उन्होंने तुरंत सीआईए प्रभारी को बुला थानेदार को अरेस्ट करने के आदेश दे दिए। साथ ही अपने ओएसआई को बुलाकर लाईन हाजिर भी कर दिया। थानेदार गिड़गिड़ाया। बीवी-बच्चों का हवाला दिया। साथ ही स्पष्टीकरण दिया कि वह बेईमान नहीं है बल्कि अपनी तनख्वाह में से बचत के रुपए जोडक़र तोहफा लेकर आया है। इस दलील को नजरअंदाज करते हुए पुलिस आयुक्त अपने आदेशों पर अडिग थे। इसी दौरान मौका पाकर थानेदार ने असली आका को फोन लगा दिया। इसके बाद एक फोन पुलिस आयुक्त के पास आया और चंद मिनट की बात के बाद मामला बिल्कुल शांत हो गया। अब थानेदार भी उल्टे पांव थाने के लिए वापस हो लिया। राहत की सांस लेते हुए थानेदार ने फिर कभी किसी अधिकारी को आगे से तोहफा भेंट करने के लिए कसम भी खा ली।
क्या कहते हैं पुलिस आयुक्त
मैंने इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर करने के आदेश जारी किए थे लेकिन उसने कुछ ऐसे सबूत पेश किए, जिससे लगा कि वह इस प्रकरण में इनोसेंट है। इसलिए उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया। वैसे मैंने जिले के सभी अधिकारियों, थानेदार, चौकी इंचार्ज अन्य पुलिसकर्मियों को हिदायत दे रखी है कि किसी भी अवसर पर और किसी भी रूप में कोई भी उपहार स्वीकार नहीं करेंगे। यह सीधे तौर पर अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। संबंधित पर यथाशक्ति कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ.हनीफ कुरैशी, पुलिस आयुक्त फरीदाबाद।