November 18, 2024

जींद से इनेलो ने भरी चुनावी हुंकार, समर्थकों में छाई खुशी, रैली में झूमी महिलाएं

Chandigarh/Alive News : इंडियन नेशनल लोकदल हरियाणा में बांगर की धरती से खुद को मजबूत करने की कवायद में जुट गई है। इनेलो का अधिक प्रभाव बांगर व बागड़ में रहा है। ऐसे में यहां से इनेलो को फिर से राजनीतिक संजीवनी मिलने की उम्मीद है। इसके लिए पार्टी ने पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवी लाल की 108वीं जयंती का मौका चुना। शनिवार को जींद की नई अनाज मंडी में इंडियन नेशनल लोकदल ने सम्मान दिवस रैली का आयोजन किया।

बता दें, कि इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला प्रदेश में सबसे अधिक चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी वर्ष 2014 के बाद से सत्ता में नहीं आई है। इस बार जींद की धरती से 2024 में सत्ता प्राप्ति के लिए जमीन तलाशी जा रही है। रैली में उमड़ी भीड़ से नेता खूब गदगद दिखे। जहां महिलाएं रैली स्थल पर नाचती दिखीं, वहीं दूर-दूर से लोग रैली के लिए रात को ही जींद पहुंच गए थे। 

मिली जुआनकारी के अनुसार रैली में पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, जनता दल यूनाइटेड के प्रधान महासचिव केसी त्यागी पहुंचे। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला का दावा है कि रैली के बाद कांग्रेस व भाजपा के विरोधी दलों के एकजुट करने की कवायद शुरू हो जाएगी। दरअसल, इनेलो हरियाणा में काफी प्रभाव वाला राजनीतिक दल रहा है। चौधरी देवीलाल के नाम पर इनेलो को लोगों का अपार समर्थन मिलता रहा है। चौधरी देवीलाल द्वारा बनाए गए जनता दल से इनेलो नाम के साथ यह पार्टी पहली बार 2000 में चुनाव मैदान में उतरी थी। 

शुरुआत दौर में ही इनेलो ने शानदार प्रदर्शन किया। इनेलो ने कुल 90 में से 62 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 47 सीटों के साथ सरकार बनाई। हालांकि इससे पहले ही ओमप्रकाश चौटाला 1989 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे। लेकिन इसके बाद 2005 में हुए चुनाव में इनेलो को बुरी हार का सामना करना पड़ा।  

2009 के चुनाव में फिर से इनेलो सत्ता में तो नहीं आ सकी, लेकिन 88 सीटों पर चुनाव लड़ कर उसके 31 विधायक विजयी हुए। इस बार भी इनेलो का वोट प्रतिशत घट कर 25.79 रह गया। 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो ने 88 सीटों पर चुनाव लड़ा और 24.11 प्रतिशत वोटों के साथ 19 विधायक बने। इसके बाद 2019 में इनेलो व देवीलाल परिवार में हुई फूट के बाद इनेलो को काफी नुकसान हुआ और 2019 के चुनाव में महज एक सीट ही जीत पाई।