Faridabad/Alive News : विश्व प्रसिद्ध भारतीय संस्कृति का कोई साहनी नहीं हैं, जिसने अकेले अपने बल पर विभिन्न रूपों में स्वयं को विश्व गुरु की अनूठी पहचान दिलाई। हम सबको मिलकर इससे बनाये रखने की जरूरत है। यह विचार मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा ने गत सायं नगर निगम सभागार में संस्कृति संगम, संगीत शिक्षा मंदिर द्वारा गुरु-शिष्य परम्परा उत्सव में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए कहा।
सीमा त्रिखा ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने विभिन्न रूपों में देश-दुनिया का सदैव नेतृत्व किया है और आज फिर समय आ गया है कि हम मिलजुल कर इस नेतृत्व को फिर से अपने हाथों में ले। जिसके लिए सभी आवश्यक कदम उठा कर युवाओं को इस विषय की बागडोर सौंपी जाए। उन्होंने संस्कृति संगम, संगीत शिक्षा मंदिर जैसी संस्थाओं द्वारा आयोजित गुरु शिष्य परम्परा जैसे समारोहों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन इस विषय की सवेदनाओं को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते है। अत: इस प्रकार के आयोजन भविष्य मे भी होते रहने चाहिये। इस दौरान उपरोक्त संस्था द्वारा सीमा त्रिखा के कर कमलों द्वारा विभिन्न रूपों में पथ प्रदर्शक बन गुरु के रूप में सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करने वाली विभूतियों को सम्मानित भी किया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार बलदेव वंशी, शिक्षाविद् ऋषिपाल चौहान, डा. ऊषा किरण शर्मा, जेपी गुप्ता, ब्रजमोहन शर्मा, अरूण बजाज, रश्मि सानन, पुष्पा शर्मा, डा. अर्चना भाटिया, हरदयाल मदान सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।