November 6, 2024

श्रद्धा के नाम पर मासूमों को किया जाता है प्रताड़ित लेकिन…

New Delhi/Alive News : आट्टुकल मंदिर केरल में मौजूद है. यह मंदिर मां काली को समर्पित है. इस मंदिर में हर साल फरवरी से मार्च के महीने के बीच में पोंगल महोत्सव मनाया जाता है. इस महोत्सव में लाखों महिलाएं एक साथ पोंगल (चावल, गुड़, केला और नारियल से बना मीठा) लाती हैं, जिसे प्रसाद के तौर पर भक्तों को बांटा जाता है. लेकिन इस महोस्तव में पोंगल और भक्तों के अलावा एक और चीज होती है जिसके खिलाफ केरल की पहली वुमन डायरेक्टर जरनल ऑफ पुलिस (DGP) आर श्रीलेखा ने आवाज उठाई है.

इस मंदिर में हज़ारों 5 से 12 साल के बच्चों को श्रद्धा के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है. इस मंदिर में इन बच्चों को भगवान की तरह सजाया जाता है, लेकिन उससे लिए तैयार करने से पहले इन्हें एक पतला छन्ना सा कपड़ा पहनाकर रोजाना ठंडे पानी में तीन बार नहलाया जाता है. इसके अलावा उन्हें पेटभर भोजन नहीं दिया जाता और साथ ही जमीन पर ही चटाई पर सुलाया जाता है. इस साल ये संस्कार होली के दिन 2 मार्च को होना है.

आर श्रीलेखा ने अपने ब्लॉग में लिखा कि ”इस तरह प्रताड़ित करने के बाद आखिरी दिन बच्चों को पीले कपड़े, माला और गहने पहनाए जाते हैं. इसके साथ उनके होंठों पर लिपस्टिक लगाई जाती है. ये सबकुछ करने के बाद उन्हें एक साथ लाइन में खड़ा किया जाता है. इतना ही नहीं बल्कि उनकी त्वचा में लोहे का हुक भी लटकाया जाता है. इसे लगाते वक्त बच्चों का खून बहता है और असहनीय दर्द होता है. इस दर्द को कम करने या घाव भरने के लिए लोहे के हुक को निकालने के बाद सिर्फ राख लगा दी जाती है. और, यह सब सिर्फ मंदिर की देवी के लिए होता है.” उन्होंने कहा कि वह खुद भी भगवान में विश्वास रखती हैं लेकिन इस तरह बच्चों को दर्द देना ठीक नहीं.

उन्होंने कहा कि इस घटना को बहुत करीब से देखा क्योंकि उनकी सुरक्षा में लगे एक अधिकारी ने भी अपने बेटे को इस मंदिर में भेजा. श्रीलेखा ने अपने ब्लॉग में आगे लिखा कि उस अधिकारी ने उनसे कहा कि मैंने अपने बेटे को भीड़ में देखा. सभी लड़के पीले छन्ने में उसी तरह खड़े थे जैसे कामाख्या देवी के लिए बकरों की बलि दी जाती है. मैंने उस अधिकारी से पूछा कि उसने यह बेटे की मर्जी से किया? इसपर जवाब मिला कि बेटे को नहीं बताया था कि उसके शरीर में छेद करके लोहे का हुक डाला जाएगा. अगर मैं उस वक्त बेटे को बताता तो वो भाग जाता और कभी इसके लिए हां नहीं करता.

आर श्रीलेखा ने अपने ब्लॉग में यह भी लिखा कि इंडियन पैनल कोड (IPC) के तहत ऐसे जुर्म दंडनीय है, लेकिन कोई भी इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराता.