June 2, 2024

कोरोना आपदा में मिड-डे मिल से हजारो बच्चे रहे महरूम, जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ क्यों नहीं हो रही कार्रवाही

Faridabad/Alive News : कोरोना आपदा के कारण जहां एक तरफ गरीब मजदूर पेट की चिंता से परेशान है। वहीं दूसरी ओर जिले के 46 शिक्षा सेंटरों पर प्रवसी मजदूरों के लगभग 1300 बच्चों को उनका हक नही मिलने के कारण उन्हें भूखा रहना पड़ा।

मजदूर मोर्चा से मिली जानकारी के अनुसार जिला परियोजना के पद पर नियुक्त मुनेश चौधरी ने पिछले साल सरकार द्वारा बच्चों के लिए भेजा गया मिड-डे मिल न तो उठाया है और नाही जिले के बच्चों में वितरित किया है। ऐसे में लापरवाही को बढ़ावा देने वाली मुनेश चौधरी में ना तो सुप्रीम कोर्ट का डर दिख रहा है और ना ही हरियाणा सरकार का कोई खौफ नजर आ रहा है। इससे पहले भी कई बार मुनेश चौधरी के खिलाफ कई शिकायतें हुई है। लेकिन जिला शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के बड़े अधिकारी मुनेश चौधरी के खिलाफ किसी भी कार्यवाही को अंजाम तक नहीं पहुंचने देते और सभी अधिकारी मुनेश चौधरी के बचाव समर्थन में खड़े हो जाते है।

शिक्षा परिषद् में ये होता है डीपीसी का कार्य
हरियाणा के प्रत्येक जिले के डीपीसी को हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद के तहत काम करना होता है। डीपीसी अधिकारी का कार्य 6 से 14 साल के सभी गरीब बच्चों को शिक्षा के दायरे में लाना और उन्हें शिक्षित करना का है। साथ ही सेंटरों पर तैनात शिक्षा कार्यकर्ता को उनकी सैलरी देना, बजट के अनुसार सभी जरूरत की वस्तुएं उपलब्ध करवाना भी जिला परियोजना अधिकारी का ही दायित्व है। इसके लिए राज्य सरकार डीपीसी अधिकारियों को अच्छा खासा बजट देती है। वहीं जिले में गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए अभी कुल 46 सेंटर स्थापित किए गए हैं जिसमें 1300 बच्चे शिक्षा ले रहे हैं।

ऐसे किया जा रहा घोटाला
डीसीपी मुनेश चौधरी ने बच्चों के हक का मिड-डे मिल तो वितरित नही किया। लेकिन शिक्षा सेंटर पर कार्यरत 90 कार्यकर्ताओं को लगभग 4 लाख 14 हजार रुपयों का वेतन बांट दिया है। ऐसे में राज्य सरकार गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए राज्य में स्थापित कुल 46 सेंटरों की देखभाल सुनिश्चित करने हेतु डीपीसी को लगभग 32 लाख 43 हजार रुपयों का फंड देती है। लेकिन डीपीसी ने फंड का अधिक हिस्सा अपने करीबी शिक्षा कार्यकर्ताओं को खुश करने में खर्च कर दिया। जिसके कारण जिले का शिक्षा परियोजना परिषद् केवल घोटालों का परिषद् बनकर रह गया है।

शिक्षा परियोजना परिषद् कि घोटालों का आंकड़ा देखते हुए हरियाणा के मुख्य सचिव विजय वर्धन ने 15 अप्रैल 2020 को चंडीगढ़ में एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें हरियाणा शिक्षा विभाग को राज्य के सभी जिलों में मिड-डे मिल बांटने के निर्देश जारी किए थे और रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी को भेजी गई थी। ताकि हरियाणा सरकार सुप्रीम कार्ट को सारी जानकारी दे सकें।

दरअसल, मिड-डे मिल में हुए घोटाले को लेकर “द चाइल्ड राइट्स ट्रस्ट” ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर रखी है। जिसमें ट्रस्ट ने हरियाणा सरकार से डीपीसी अधिकारी के कार्यकलापों और मिड-डे मील से संबंधित सभी जानकारियों की मांग की है।