May 7, 2024

हरियाणा में 5 साल में सीवर सफाई करते 24 कर्मचारियों की मौत, फरीदाबाद में करीब 10 मौत, सरकार स्वेदनहीन

Poonam Chauhan/Alive News
Faridabad :
सीवर सफाई के लिए मैनहोल में उतरे कर्मचारियों की मौत का सिलसिला अभी भी जारी है। प्रदेश में सफाई कर्मचारियों की अनगिनत मौते सीवर सफाई के दौरान पर्याप्‍त उपकरण न होने से हुई है। एक बार फिर से सफाई कर्मचारियों की मौत से सरकार पर उंगली उठने लगी है। पिछले कुछ सालों में ऐसी घटनाएं बार-बार देखने को मिली हैं। हालांकि, राज्य सरकारों का रुख इस मामले में ठंडा रहा है। इस को लेकर सुप्रीम कोर्ट और मानव अधिकार ने फटकार का भी लगाई है लेकिन असर देखने को नहीं मिल रहा।

ऐसा ही एक मामला बीते दिनों हरियाणा के पलवल में देखने को मिला जहां शमशाबाद कॉलोनी में सीवर की सफाई करने के दौरान सीवर टैंक में गैस बनने से एक मजदूर की दम घुटने से मौत हो गई, जबकि तीन मजदूर बेहोश हो गए थे। पिछले कुछ सालों से सीवर सफाई कर्मचारियों की मौत का सिलसिला बदस्‍तूर जारी है। यह और बात है कि इंतजाम के नाम पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। नियमों के विरुद्ध सीवर में सफाई करने के लिए कर्मचारियों को उतारा गया है।

सीवर में सफाई कर्मचारियों की मौत पर पूछे सवाल
सफाई कर्मचारी नेता अब सिस्टम और सरकारों से सफाई कर्मचारियों की मौत का कारण पूछने लगें है। संसद और विधानसभाओं में क्यों नहीं चर्चा होती? सफाई कर्मचारियों के लिए नियम क्‍या हैं? ऐसी घटनाओं में कितने लोग जान गंवा चुके हैं? ये सीवरमेन कैसे मौत का कारण बन जाते हैं?

File Photo

संसद और विधानसभाओं में क्यों नहीं होती चर्चा
इस पर देश के प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोलते। संसद और विधानसभाओं में इन पर चर्चा नहीं होती। क्या हमारी सरकारें इतनी असंवेदनशील हो गई हैं। क्या युद्धस्तर पर इन्हें रोकने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। क्या सीवर-सेप्टिक टैंको में इंसान की बजाय मशीनों से काम करवाना सरकार की जिम्मेदारी नही है। क्या सरकार चाहे तो इस तरह होने वाली मौतों को रोका नहीं जा सकता है। होने को सब कुछ हो सकता है पर सरकार में राजनैतिक इच्छाशक्ति होनी चाहिए। इस मुद्दे के प्रति संवेदनशीलता होनी चाहिए।

जानिए सफाई कर्मचारियों का कितना है मुआवजा
मालूम हो कि 27 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सफाई कर्मचारी आंदोलन बनाम भारत सरकार मामले में आदेश दिया था कि साल 1993 से सीवरेज कार्य (मैनहोल, सेप्टिक टैंक) में मरने वाले सभी व्यक्तियों के परिवारों की पहचान करें और उनके आधार पर परिवार के सदस्यों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाए।

हजारों कर्मचारियों की हो चुकी है मौत
सफाई कर्मचारी यूनियन के एक आंकड़े के अनुसार अब तक दो हजार से अधिक लोग सीवर-सेप्टिक टैंको में अपनी जान गवां चुके हैं। बीते कुछ सालों में मैनुअल स्‍कैवेंजिंग यानी हाथ से नालों की सफाई करते हुए भी सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई है। 2020 में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संस्था राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ने डराने वाले आंकड़े बताए थे। उसने कहा था कि 2010 से मार्च 2020 तक सीवर सफाई के दौरान 631 लोगों की मौत हुई। आंकड़ों के अनुसार, 2019 में सीवर की सफाई के दौरान 110 लोगों ने जान गंवाई। इसी तरह 2018 में 68 और 2017 में 193 मौतें हुईं।

File Photo

क्‍या कहते हैं नियम
मैनुअल स्‍कैवेंजिंग एक्‍ट 2013 के तहत सीवर में सफाई के लिए किसी भी व्‍यक्ति को उतारना पूरी तरह गैर-कानूनी है। एक्‍ट में इस पर रोक का प्रावधान है। किसी खास स्थिति में अगर व्‍यक्ति को सीवर में उतारना ही पड़ जाए तो उसके लिए कई तरह के नियमों का पालन जरूरी है। मसलन, जो व्‍यक्ति सीवर की सफाई के लिए उतर रहा है, उसे ऑक्सिजन सिलेंडर, स्‍पेशल सूट, मास्‍क, सेफ्टी उपकरण इत्‍यादि देना जरूरी है। अमूमन इन नियमों की अनदेखी होती रही है।


क्या कहते है सफाई कर्मचारियों के नेता

– नरेश शास्त्री, प्रदेशाध्यक्ष-सफाई कर्मचारी यूनियन।

अकेले हरियाणा में पिछले 5 साल में 24 मौतें और फरीदाबाद के अंदर लगभग 10 मौतें हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद भी इन मौतों को सरकार गंभीरता पूर्वक नहीं ले रही है। सदन में भी यह मुद्दा कभी नहीं उठता। सरकार को अलग से ट्रेनिंग विंग बनानी चाहिए और सफाई कर्मचारी को ट्रेनिंग देनी चाहिए ताकि लगातार हो रही मौतों को रोका जा सके। अभी तक जो सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं वह बिना ट्रेनिंग के और बिना सफाई उपकरणों के काम कर रहे हैं जिस कारण से हादसे हो रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है।