Faridabad/Alive News : आत्मा को शुद्ध करने की जरूरत है। दया, प्रेम, सेवा, शांति जैसे दैविक गुणों से आत्मा की शुद्धि होती है। छात्र जीवन में दैविक गुणों का पाठ भी उतना ही आवश्यक है। जितना पाठ्यक्रम का पाठ महत्वपूर्ण है। उक्त वाक्य रॉयल व्हाइट मोनेस्ट्ररी के प्रमुख आचार्य गुरू करमा तानपाई ने डीएवी कॉलेज में ‘ध्यान के माध्यम से ज्ञानोदय’ के विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में छात्रों को संबोधित करते हुए कहे। इस कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज और सूर्या एनजीओ के सहयोग से हुआ था।
गुरू करमा तानपाई ने छात्रों को सफल जीवन जीने की कला सिखाई। मन, मस्तिष्क और वाणी को वश में करने के गुर बताए। जिन दैविक योग से ऋषिओं व मुनियों ने ज्ञान को प्राप्त किया था, उसकी विधि बधाई। इसे नियमित अंतराल पर दोहराने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि स्वर्ग और नर्क दोनों इसी धरती पर है। यह व्यक्ति के हाथ में है। कि वह किस प्रकार का जीवन व्यतीत करें। उन्होनें छात्रों को दिव्य योगा भी सिखाया।
राष्ट्रीय कार्यशाला की संयोजक डॉ. सुनीति आहूजा थी। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रिंसिपल डॉ.सतीश आहूजा ने की। कार्यशाला के पैटर्न डॉ.आहूजा ने छात्रों से कहा कि व्यक्तित्व विकास छात्रों के सर्वागीण विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है। व्यक्तित्व के विकास में ध्यान व आत्म जागरण का विशेष महत्व होता है। इस मौके पर कॉलेज का पूरा स्टाफ मौजूद रहा।