Faridabad/Alive News: इस रंग-बिरंगी दुनिया को देखने में आंखों का बहुत ही अहम रोल हैं। इसलिए आंखों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। आंखों को लेकर की गई छोटी सी लापरवाही भी जिंदगी भर का पछतावा दे सकती हैं। आंखों पर किसी भी चीज़ का प्रभाव बहुत जल्दी पड़ता है। आजकल दिन भर कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करने या मोबाइल चलाने के कारण भी सिरदर्द के साथ आंखों में दर्द होने लगता है। प्रदूषण, देर रात तक जगना और मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल आंखों से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा रहा है। कम उम्र में ही आंखों की रोशनी कम होना एक आम बात हो गई है। लेकिन कई बार आंखों से जुड़ी कुछ समस्याएं हमारे बुरे स्वास्थ्य का संकेत हो सकती हैं। इस पर हमारी संवाददाता निधि कुशवाह ने एनआईटी पांच स्थित आस्था आई केयर सेंटर की आई विशेषज्ञ डाॅ आकृति से बातचीत की और उसके कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं।
प्रश्न- आंखें में अक्सर सूज आ जाती है क्या कारण होता है?
उत्तर- उम्र बढ़ना, नींद की कमी, किसी चीज से एलर्जी होना या शराब का अत्याधिक सेवन करने से आंखों में सूजन होना आम बात है। लेकिन कई बार शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने, प्री-डायबिटीज या डायबिटीज के कारण भी लोगों की आंखों में सूजन की समस्या हो सकती है। ऐसे में डॅाक्टर से जांच जरुर करवांए।
प्रश्न- शुरुआती दौर में मोतियाबिंद का पता कैसे लगता है?
उत्तर- धीरे-धीरे विजन कम होने लगती है। लाइट की तरफ देखने के बाद लाइट फैल जाती है इसकी वजह से ड्राइविंग में दिक्कतें आती हैं। दिखना काम हो जाता है और पास के काम में भी दिक्कत आने लगती है। ऐसे में सर्जरी के मरीज और बीपी के मरीज में ज्यादा चांस मोतियाबिंद होने के होते हैं। ऐसी कंडीशन में रेगुलर बेस पर चेकअप करवाते रहना चाहिए। बच्चों का हर 6 महीने में चेकअप करवाना चाहिए। मोतियाबिंद में सर्जरी भी होती है लेकिन बच्चों के लिए 18 साल के बाद की जाती है।
प्रश्न- छोटे बच्चों में मोतियाबिंद की शुरूआत का पता कैसे लगाया जा सकता है?
उत्तर- अक्सर 2 से 5 साल के बच्चें आंखों की समस्या बता नहीं पाते, लेकिन उसका अनुमान तब लगाया जा सकता है जब बच्चा किताबें पास से पढ़ रह है तो देखा गया है कि उसकी दूर की विजन काम हो रही है, पढ़ते समय, टीवी देखते समय आंखों से पानी आने लगता है। इत्यादि लक्षण होते हैं।
प्रश्न- सोशल मीडिया पर सुझाए गए नुस्को का इस्तेमाल करना कितना सही है?
उत्तर- मैं ये कभी भी सुझाव नही दूंगी कि जो नुस्खे आंखों को लेकर सोशल मीडिया पर चल रहे अपनाना चाहिए। आंखें शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। मैं बताना चाहती हूं कि प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति ने संरचना अलग की है। भले ही दो व्यक्तियों के सिम्टम्स एक जैसे हो फिर भी दोनों की परेशानी अलग हो सकती है, परन्तु डॉक्टर से सुझाव जरूर लें। तभी किसी दवा का इस्तेमाल करें।
प्रश्न- डॉक्टर एनसीआर में पॉल्यूशन अधिक है ऐसे में अपनी आंखों को कैसे बचाएं?
उत्तर- पॉल्यूशन से अपनी आंखों को बचाने के लिए सनग्लास का इस्तेमाल करना चाहिए। गंदे हाथों से आंखों को न छुए, अपना तौलिया किसी और के साथ शेयर न करें। डॉक्टर के सुझाव के बिना कोई भी आई ड्रॉप आंखों में न डालें।
प्रश्न- डॉक्टर अचानक आंखों में दर्द की समस्या का उत्पन्न होना, क्या कारण हो सकता है?
उत्तर- आंखों में चोट की वजह से दर्द हो सकता है। आंखों की कई बीमारियां दर्द बढ़ा सकती है। आंखों में दर्द होने का मतलब है कि आंखें पर ज्यादा दबाव पड़ रहा हैं। ऐसे में डॉक्टर से जांच करानी चाहिए अन्यथा देरी होने पर आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
प्रश्न- डॉक्टर की लोगों की आंखे सुख जाती है, किस कारण से होता है?
उत्तर- ऐसा अक्सर तब होता है जब आंखें पर्याप्त अच्छी गुणवत्ता वाले आंसू नहीं बना पाती हैं। आंखों में जलन होती है। हार्मोनल बदलावों के कारण, उम्र बढ़ने के साथ-साथ लोगों को कम आँसू आते हैं। ये पुरुष और महिला दोनों की आंखों में हो सकता है।
पश्न- कोल्ड, कफ, फीवर के मरीज अपनी आंखों का ध्यान कैसे रखें?
उत्तर- कोल्ड, कफ और फीवर हो तो इसमें यह सही रहेगा कि जो रुमाल हम अपनी नाक को साफ करने में कर रहे हैं उसी से अपनी आंखों को साफ ना करें। इससे हमारी आंखों में इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है।