Alive News/ नई दिल्ली28 मार्च : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक, भारत के तीन में से दो नागरिक डिटर्जेंट, कॉस्टिक सोडा, यूरिया और पेंट वाल दूध पीते हैं। देश में बिकने वाला 68 प्रतिशत दूध देश की खाद्य उत्पाद नियंत्रक संस्था एफएसएसएआई के मापदंडों पर खरा नहीं उतरता। देश के 200,000 गांव से दूध एकत्रित करके बेचा जाता है। मिलावटी दूध से बचने का सबसे सटीक तरीका दूध उबालना है, जिससे सभी बैक्टीरिया मर जाते हैं। पिछले साल अमेरिकी सरकार के एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2016 में दूध की खपत में 5 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 62.75 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगी।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. एस.एस. अग्रवाल और आईएमए के ऑनरेरी सेक्रेटरी जनरल डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि मिलावटी दूध के शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। यूरिया, कॉस्टिक सोडा और इसमें मौजूद फोरमेलिन से गैस्ट्रोएंट्रटिटिस से लेकर इम्पेयरमेंट, दिल के रोग, कैंसर और मौत तक हो सकती है।
उन्होंने कहा कि दूध में इस्तेमाल किए जाने वाले डिटर्जेंट से पाचन तंत्र की गड़बड़ियां और फूड पॉयजनिंग हो सकती है। उच्च एल्केलाइन से शरीर के तंतु क्षतिग्रस्त और प्रोटीन नष्ट हो सकते हैं। इन खतरों को देखते हुए बचाव जरूरी है। एफएसएसएआई के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक, दूध में पानी की मिलावट सबसे ज्यादा होती है, जिससे इसकी पौष्टिकता कम हो जाती है। अगर पानी में कीटनाशक और भारी धातुएं मौजूद हों तो ये सेहत के लिए खतरा हैं। इसलिए इससे बचने का आसान उपाय दूध को उबालकर पीना है।
इसके साथ ही 46 प्रतिशत सैंपल लो सॉलिड नॉट फैट की श्रेणी के पाए गए, जिसकी मुख्य वजह पानी की मिलावट है। दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले स्किमड मिल्क पाउडर के 548 नमूनों में से 477 नमूनों में ग्लूकोज पाया गया। दूध के रख-रखाव और पैकेजिंग के समय साफ-सफाई का ध्यान न रखे जाने की वजह से आस पास प्रयोग हुआ डिटर्जेंट दूध में चला जाता है। कई बार यह जान बूझ कर डाला जाता है। 8 प्रतिशत सेम्पल्स में डिटर्जेंट पाया गया।
इस तरह करें जांच :
पानी- एक प्लेट या ढलान वाली सतह पर दूध की एक बूंद डालें। शुद्ध दूध की बूंद धीरे-धीरे सफेद लकीर छोड़ते हुए नीचे आ जाएंगी, जबकि पानी की मिलवाट वाली बूंद बिना कोई निशान छोड़े बह जाएंगी।
यूरिया- एक चम्मच दूध को टेस्ट ट्यूब में डालें। उसमें आधा चम्मच सोयाबीन या अरहर का पाउडर डालें। अच्छी तरह से मिला लें। पांच मिनट बाद, एक लाल लिटमस पेपर डालें, आधे मिनट बाद अगर रंग लाल से नीला हो जाए तो दूध में यूरिया है।
डिटर्जेंट- 5 से 10 एमएल दूध को उतने ही पानी में मिला के हिलाएं। अगर झाग बनते हैं तो समझिए इसमें डिटर्जेंट है।
सिन्थेटिक दूध- सिन्थेटिक दूध का स्वाद कड़वा होता है, उंगलियों के बीच रगड़ने से साबुन जैसा लगता है और गर्म करने पर पीला हो जाता है।
सिन्थेटिक दूध में प्रोटीन की मात्रा है या नहीं, इसकी जांच दवा की दुकान पर मिलने वाली यूरीज स्ट्रिप से की जा सकती है। इसके साथ मिली रंगों की सूची दूध में यूरिया की मात्रा बता देगी।