November 24, 2024

पलवल में हुरंगा की धूम, दिन में बरसेंगे रंग-गुलाल, रात को चौपालों पर सजेगी महफिल

Palwal/Alive News: हरियाणा के अंतिम छोर पर उत्तर प्रदेश के ब्रज के बंचारी गांव में परंपरागत तरीके से होली खेल रहे हैं। यहां गुरुवार से शुरू हुआ होली का उत्सव 3 दिन तक चलेगा। यहां भजन चौपाई के साथ जमकर गुलाल-रंग उड़ता है। नेशनल हाईवे से भी कोई वाहन बिना रंग बिरंगा हुए नहीं निकल रहा। सभी पर रंगों की बरसात हो रही है।

बंचारी में रंगों का पर्व हुरंगा पांच हजार वर्ष पूर्व शुरू हुआ था, जो आज भी अपनी पहचान बनाए हुए है। बंचारी गांव के घर-घर में आशु कवि होते थे, लेकिन समय के साथ बदलाव हो चुका है, लेकिन आज भी बंचारी की होली पार्टी देश-विदेश में अपनी पहचान बनाए हुए है। जानकारी के मुताबिक करीब पांच हजार वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ जी बंचारी गांव में आए थे और एक रात यहीं विश्राम किया था।

जिनकी याद में गांव में बलदाऊ जी के नाम से हजारों वर्ष पूर्व मंदिर का भी निर्माण कराया गया था, जो आज भी गांव में है। उसी मंदिर के प्रांगण से होली का हुरंगा शुरू होता है। हुरंगा की शुरुआत बंचारी में शुक्रवार सुबह हुई। बंचारी गांव से गुजरने वाले नेशनल हाईवे से कोई भी वाहन बिना रंग-बिरंगे हुए नहीं गुजरने दिया जा रहा।

दिन में यहां हुरंगा की मस्ती होगी तो तो रात में गांव में अलग-अलग चौपालों पर चौपाइयों के कार्यक्रम की तैयारी है। जिनमें भजन और चौपाई गाई जाती है। इसके साथ-साथ दाऊ जी के मंदिर में पूजा अर्चना के बाद मेला लगता है, क्योंकि यहां यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ जी ने ही शुरू किया था। जिसमें शामिल होने के लिए हरियाणा, यूपी, राजस्थान, दिल्ली व पंजाब के अलावा विदेशी पर्यटक भी यहां पहुंचे हैं।

युवाओं के ग्रुप पिचकारी थामे आमने सामने आए
बंचारी गांव में शुक्रवार सुबह से ही आमजन रंगों के पर्व में डूबे हैं। चौपालों पर बड़ी-बड़ी पिचकारियां और रंगों से भरी होदियों व टोकनी लेकर लोग खड़े हैं। चारों और रंग बरस रहा है। युवा दो ग्रुपों में आमने-सामने होकर होली खेल रहे हैं। होली खेलने से पहले एक व्यक्ति रस्सी लेकर बीच में खड़ा हुआ और फिर उसके रस्सी छोड़ते ही युवाओं के दोनों ग्रुपों में होली की मस्ती शुरू हो गई।

18 चौपालों पर बरस रहा रंग
प्रत्येक चौपाल पर 10 से 15 किलोग्राम सूखा हरबल रंग रखा जाता है, इसके अलावा चौपालों पर रखे बड़े-बड़े पानी के टब व कुंडियों को तैयार किया गया है। हुरंगा में गुलाब व चमेली के फूल भी बरसाए जा रहे हैं। युवा कई-कई फूट की पीतल व तांबे की पिचकारियों से पानी बरसाते हैं। दोनों ग्रुपों में जब पिचकारी चलती है तो 8 से 10 मीटर का फासला होता है।