November 16, 2024

इंसानियत शर्मसार ! मृतक का होना था पोस्टमॉर्टम, पुलिस ने कूड़ा गाड़ी से भेज दिया शव

New Delhi/Alive News : कोरोना महामारी का ऐसा खौफ देखने को मिला है कि मुश्किल समय में परिवार ने ही अपनों का साथ छोड़ा है. कोरोना से मौत भी हो गई तो अर्थी को कंधा देने के लिए परिवार वाले आगे नहीं आते हैं. अब जब ऐसा होता है तब तो इंसानियत शर्मसार होती ही है, लेकिन जब कोई पुलिस अधिकारी भी ऐसा ही अमानवीय चेहरा दिखाने लगे, तब क्या कहा जाएगा.

अब कोरोना से जुड़ा तो नहीं लेकिन उत्तर प्रदेश के महोबा से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. एक शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजना था, कोई वाहन नहीं मिला तो पुलिसवालों ने कूड़े वाली गाड़ी में ही शव को डाल दिया और फिर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया.

ये सिर्फ शर्मसार करने वाली घटना नहीं है, बल्कि सवाल उठता है कि क्या प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं है? इंसानियत ना भी हो लेकिन कुछ नियम तो होते ही हैं, जिनका पालन करना जरूरी रहता है. लेकिन यूपी के महोबा में सभी नियमों को ताक पर रखा गया और एक मृतक के शव को कूड़े की गाड़ी में जानवरों की तरह फेंक दिया गया.

बता दें कि जिनके शव के साथ ये अमानवीय व्यवहार किया गया है, उनका नाम राम करण था और वे एक किसान थे. कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी, सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी. जब स्थिति ज्यादा गंभीर हुई तो परिवार ने जिला अस्पताल में एडमिट करवाने का फैसला लिया.

झकझोर देने वाली तस्वीरें
लेकिन अस्पताल पहुंचते ही वहां डॉक्टरों ने राम करण को मृत घोषित कर दिया. इसके बाद अस्पताल प्रशासन की तरफ से सदर कोतवाली पुलिस को सूचना दी गई और सब इंस्पेक्टर और दो सिपाही जिला अस्पताल पहुंच गए. उनका काम सिर्फ इतना था कि उन्हें उस मृतक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजना था.

लेकिन क्योंकि अस्पताल के पास कोई वाहन मौजूद नहीं था, इसलिए उन पुलिस अधिकारियों ने अपना दिमाग चलाया और उस शव को कूड़े-करकट वाली गाड़ी में डाल दिया. सोशल मीडिया पर इस शर्मनाक हरकत की तस्वीर वायरल है. सभी ये देख हैरान हैं कि एक शव को बेरहमी से कूड़े की गाड़ी में फेंक दिया गया है.

मृतक के बेटे ने क्या बताया है?
राम करण के बेटे ने बताया है कि पिता जी का इलाज करवाने जिला अस्पताल लाए थे पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था और शव को कूड़ा डालने वाली गाड़ी में डाल कर भेज दिया था. अब इस घटना ने जब तूल पकड़ा तो पत्रकारों की तरफ से पुलिस महकमे के सामने कई सवाल दागे गए, पूछा गया है कि क्यों किसी के शव के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार किया गया. लेकिन पुलिस के पास सवालों का कोई जवाब नहीं था. किसी भी अधिकारी ने इस घटना पर बोलने से ही इनकार कर दिया.

ये कोई पहली घटना नहीं है जहां पर किसी मृतक के साथ ऐसा व्यवहार किया गया हो. कोरोना काल में तो सिर्फ इंसान बदलते हैं, जगह कोई दूसरी हो सकती है, लेकिन इंसानियत को लगातार शर्मसार करने वाली घटनाएं जारी हैं. कभी किसी के शव को गंगा नदी में फेंक दिया जाता है कभी किसी को कुत्ते नोंच रहे होते हैं. इस कोरोना काल ने कई ऐसी घटनाएं दिखा दी हैं जिन्होंने ना सिर्फ लोगों को अंदर तक झकझोर दिया है, बल्कि प्रशासन को भी कठघरे में खड़ा किया है.