Faridabad/Alive News : गांव भूपानि स्थित सतयुग दर्शन ट्रस्ट के परिसर में बडे ही धूमधाम से मानवता फेस्ट का समापन हुआ। चार दिन चले इस मानवता फेस्ट के अंतर्गत दूर दराज से हजारों बाल-युवाओं ने जीव, जगत व ब्राहृ समबन्धी आत्मिक ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ, जूमभा, ध्यान-साधना, मौज-मस्ती व खेल-कूद इत्यादि का भरपूर आनन्द उठाया। कार्यक्रम के अंतिम दिवस ट्रस्ट के मार्गदर्शक सजन ने कहा कि मानवता का सिद्धान्त मनुष्यत्व या इंसानियत का प्रतीक है।
मानवता वह विचार प्रणाली है जिसमें मानव, मानव के दु:खों के प्रति सदय रहकर उसको दु:खों से छुटकारा दिलाने का प्रयत्न करता है। हमें भी मानवदयावाद सिद्धान्त (ह्रूमैनिटेरिइज्म) को अपना किसी भी कारण अन्यों के दु:ख का हेतु नहीं बनना। उन्होंने कहा कि ऐसा सुनिश्चित करने पर ही हम मानवता के सिद्धान्त पर स्थिरता से टिके रह सकते हैं और मानव धर्म यानि मनुष्य का मनुष्य के प्रति जो यथार्थ कर्तव्य है, उसको प्रसन्नचित्तता व निष्काम भाव से निभा सकते हैं। इसी प्रकार समपूर्ण मानव जाति धर्मसंगत सत्य-कर्म करते हुए अखंडता से एकता के सूत्र में बंधी रह सकती है।
याद रखो ऐसा सुनिश्चित करना समपूर्णता व समपन्नता को प्राप्त हो परोपकार प्रवृति में ढलने की मंगलकारी बात है। इस प्रकार बुरे से अच्छा इन्सान बनने हेतु, मानव धर्म की अभिमानना करने के प्रति दृढ़ संकल्पी हो जाओ और उसी सिद्धान्त अनुसार अपने मन-वचन व कर्म को साधने के लिए, विवेकशीलता से अपने वर्तमान चारित्रिक रूप का आत्मनिरीक्षण करो। मानव धर्म की मानता सर्वोत्तम है। यही एकमात्र ऐसा धर्म है जो टूटे हुए व बिखरे हुए दिलों को जोड़ता है।
अत:उखड़े दिल मिला कर, स्थिर मानसिकता द्वारा उजड़े घर वसाने हेतु, एक बुद्धिमान इंसान की तरह स्वार्थपरता छोड़, निष्कामता से, सोए हुओ को जगाओ, गिरते हुओं को उठाओ, रोते हुओं को हँसाओ व कुरस्ते पड़े हुओं को सत्य-धर्म के रास्ते पर ले आओ। ए विध सारे समभाव अपनाओ और समदृष्टि हो, समदर्शिता अनुरूप निर्विकारी स्वभाव अपना कर श्रेष्ठ मानव बन जाओ।