New Delhi/Alive News: राज्यसभा सांसद डॉ सुशील गुप्ता ने हरियाणा सरकार की शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि कोरोना काल में आर्थिक संकट के कारण अभिभावक अपने बच्चों की फीस और एनुअल चार्ज नहीं भर पाए। जिस कारण निजी स्कूल संचालकों ने बच्चों को स्कूल से निकाल दिया है, जिससे अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे, ऐसे हजारों बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं और उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ बकाया फीस और एनुअल चार्ज न भरने के कारण निजी स्कूल संचालक एसएलसी लिविंग स्कूल सार्टिफिकेट भी जारी नहीं कर रहे। एसएलसी ना मिलने से बच्चे सरकारी स्कूल में दााखिला नहीं ले पा रहें है। यही नहीं सरकार बच्चों को 134 ए के तहत भी दाखिला नहीं मिल रहा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में भी ऐसे ही सवाल उठे थे, मगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी बच्चों को बिना एमएलसी के स्कूलों में दाखिले देने का आदेश दिया था, जो आज तक लागू है। राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता ने कहा कि कोरोना काल में अभिभावकों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने सरकारी स्कूलों में बिना एसएलसी दाखिले के आदेश तो जारी किए थे। लेकिन निजी स्कूल संचालकों द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस आदेश को रद्द करवा दिया।
सरकार ने हाईकोर्ट में ना तो अच्छे से पैरवी की और ना ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया क्योंकि सरकार वास्तव में निजी स्कूल संचालकों के दबाव में हैं और निजी स्कूल संचालकों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है। सुशील गुप्ता ने कहा उनके पास आए दिन ऐसे मामले आ रहे हैं जिसमें पैसों के अभाव में बच्चे पढ़ाई से वंचित होकर घर पर बैठे हैं।
उन्होंने भाजपा की प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि हजारों बच्चों के भविष्य को देखते हुए बकाया फीस और एनुअल चार्ज ना भर सके बच्चों को एसएलसी दिलवाया जाए या 134 ए के तहत, सरकारी स्कूलों में बिना एसएलसी के दाखिले करवाए। उन्होंने प्राइवेट स्कूल संचालकों से भी अपील की कि मानवता दिखाते हुए ऐसे बच्चों के एसएलसी जारी करें ताकि बच्चे अपनी पढाई पूरी कर सकें।