October 2, 2024

सरकार तुरन्त करें जनता की समस्याओं का समाधान : कौशल ततारपुर

Palwal/Alive News : रसूलपुर रेलवे क्रासिंग और बामनीखेड़ा रेलवे क्रासिंग पर बन रहे रेलवे ओवर ब्रिज का उद्धघाटन सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने 18 अक्टूबर 2018 को किया था और मंत्री ने आश्वासन दिया था कि दोनों ही पुलों का निर्माण कार्य 18 महीनो में पूरा कर लिया जायेगा | प्रत्येक पुल के निर्माण में करीब 45 करोड़ रूपये की लागत का अनुमान लगाया गया था | इन पुलों का निर्माण कार्य “हरियाणा स्टेट रोड्स एंड ब्रिज डेवलपमेंट कारपोरेशन” (HSRDC) को दिया गया था, इस कारपोरेशन के द्वारा इन पुलों का निर्माण कार्य मार्च 2020 तक पूरा करके देना था। लेकिन आज लगभग 3 साल पुरे हो जाने पर भी इन पुलों का निर्माण कार्य का अभी तक 50% से भी कम कार्य हो पाया है। जिसके कारण रेलवें लाइन के पार स्थित न्यू कॉलोनी, न्यू एक्सटेंशन कॉलोनी, लोहागढ़, रोनिजा, छज्जू नगर, रसूलपुर, बड़ोली, मीसा सहित अनेक गांवो के करीब 2 लाख से भी अधिक लोगों का शहर से सम्पर्क बाधित हो गया है |

बामनी खेड़ा रेलवे क्रासिंग से पार के गांव नांगल ब्राह्मण, दीघोट, लाडियाका, बेला बाता, रुंधी, भूपगढ़, पेंगलतु सहित अनेक गांवो के लोगों को दीघोट से मीतरोल रोड के माध्यम से आना जाना पड़ता है लेकिन उस रोड की हालत पहले ही बहुत ख़राब है, इस रोड पर पहले से ही बहुत अधिक खड्डे हैं | जिससे आये दिन रोड़ की खराब हालत के कारण दुर्घटना घटित होती रहती हें | लेकिन अब और अधिक ट्रैफिक बढ़ जाने के कारण यह बिल्कुल खस्ता हालत में हो चुकी है |

सम्बंधित गांवो के लोगों को पिछले तीन सालों से बहुत ही गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है | गांव और शहर के बीच में दूरी काफी बढ़ गयी है | गांव से आने वाले लोगों को दूसरे रास्तों के माध्यम से शहर तक पहुँचना पड रहा है | इस पुल के निर्माण कार्य में देरी होने से ऑटो वाले, पढ़ने वाले छात्र छात्राओं , नौकरी करने वाले नागरिकों , बीमार लोगों तथा शहर को आने जाने वाले लोगों को समय व धन की हानि होती है | ऑटो वालो को दूसरे रास्तो से होकर शहर तक सवारिया लाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है जिसमे उनके धन और समय की अधिक हानि के कारन उनकी कमाई पर काफी प्रभाव पड़ा है | नौकरी पर जाने वाले लोगों को भी काफी समय , धन की हानि होती है जिससे उनकी आमदनी से अधिक खर्चे हो गए हैं |

इसी प्रकार से गांव देवली व् असावटी में बन रहे रेलवे अंडरपास की है जिनका निर्माण कार्य आरम्भ हुए लगभग 2 वर्ष हो चुके हैं लेकिन अब तक आधा काम भी पूरा नहीं हो पाया है। इन पुलों के काम के अधूरा रह जाने के कारन एक तरफ जंहा कई गांवो की आपस में कनेक्टिविटी टूट गयी है वंही देवली गांव के किसानो को अपनी खेती करने में भी बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। देवली गांव के किसानो की अधिकतर जमीन रेलवे लाइन के पार है लेकिन अंडरपास के निर्माण कार्य के चलते हुए इनको कई किलोमीटर दूर से अपने खेतो पर जाना पड़ता है। कुछ किसानो ने तो खेती करना भी छोड़ दिया है। ऐसे ही असावटी रेलवे क्रासिंग पर बन रहे अंडरपास के निर्माण कार्य के बीच में रह जाने के कारन जंहा कई गांवो की कनेक्टिविटी टूट गयी है। वंही गांव की आबादी भी रेलवे लाइन के दोनों तरफ बसी हुयी है लेकिन रास्ता न होने के कारन लोगों को स्वजनों तक जाने में भी काफी दूर का सफर तय करना पड़ता है। वंही स्कूल बसों को भी कई किलोमीटर लम्बे दूसरे रास्तो से होकर आना पड़ता है। इन दोनों पुलों और अंडरपास के निर्माण कार्य को अधर में लटके रहनें पर केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार जनता के सवालों जबाव दें।

सरकार व प्रसाशन यह बताये की जब इन दोनों पुलों का निर्माण कार्य 18 महीने में पूरा करना था तो अब तक पूरा क्यों नहीं किया गया। निर्माण कार्य में देरी करने के लिए HSRDC के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी है। क्या सरकार और प्रशासन की नज़र में आम आदमी की (लोगों ) की समस्याओं से सरकार का कोई सरोकार नहीं। किन कारणों से इन पुलों के निर्माण कार्य को बीच में रोक देना पड़ा ? सरकार स्वेत पत्र जारी करें। सरकार जनता को यह बताये की कब तक इन पुलों का निर्माण कार्य पूरा कर जनता को सुपुर्द कर दिया जायेगा। अगर जल्दी से जल्दी इन दोनों पुलों का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया तो आम आदमी पार्टी सड़क पर उतर कर आम आदमी के हकों के लिए जन आंदोलन चलाएगी। आम आदमी पार्टी हमेंशा जन मुद्दौ के पक्ष में सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाती रही है | ओर समस्याओं के निदान नही होने तक अपनी लडाई जारी रखेंगीं।

आम नागरिको के अधिकारों के लिए हमेशा से ही सड़क से संसद तक लडाई लड़ती आयी है और लड़ती रहेगी। एक जिम्मेदार राजनैतिक पार्टी होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है की हम अपने क्षेत्र के लोगों की आवाज बनकर उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार के खिलाफ लामबन्द होकर सरकार को जनता का हक़ देने के लिए विवश करें। हम एक बार फिर से सरकार को चेताना चाहते है कि सरकार जन भावनाओं से खिलवाड़ ना करे |