Faridabad/Alive News: अरावली वन क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माणों को तोड़ने से पहले सरकार को जमीन मालिकों को उचित मुआवजा देना चाहिए। यह मांग हरियाणा के पूर्व रणजी क्रिकेटर और सामाजिक कार्यकर्ता संजय भाटिया ने की है।
भाटिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई 2022 को आदेश दिया था कि अरावली क्षेत्र में पंजाब भू-संरक्षण अधिनियम 1900 की धारा 4 और 5 के तहत बने सभी अवैध निर्माण हटाए जाएं और वहां जंगल विकसित किया जाए। लेकिन ये निर्माण लोगों की निजी जमीन पर हैं, जिसकी म्युटेशन (भूमि रिकॉर्ड) वर्षों से मालिकों और उनके वारिसों के नाम पर दर्ज है।
उन्होंने कहा कि अनखीर, अनंगपुर, लक्कड़पुर और मेवला महाराजपुर जैसे गांवों में हजारों सालों से लोग रह रहे हैं और यहां 6793 से ज्यादा निर्माण सरकार ने अवैध बताए हैं। इनमें कई फार्महाउस, फैक्ट्री और रिहायशी मकान शामिल हैं। अब इन्हें गिराने की प्रक्रिया चल रही है।
संजय भाटिया ने सवाल उठाया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने सालों पहले आदेश दे दिया था, तो सरकार इतने समय तक क्या कर रही थी? ना तो जनप्रतिनिधियों ने कुछ किया, ना ही मुआवजा देने की बात उठाई। अब जबकि कोर्ट ने हरियाणा सरकार को तीन महीने में सभी निर्माण हटाकर वन क्षेत्र बनाने का आखिरी मौका दिया है, ऐसे में सभी राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों को मिलकर आवाज उठानी चाहिए कि जमीन मालिकों को न्याय मिले और उन्हें मुआवजा भी दिया जाए।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कानून का मामला नहीं, बल्कि इंसानियत और जनहित का भी सवाल है।