New Delhi/Alive News: केंद्र सरकार ने रूस और यूक्रेन की जंग के दौरान भारत लौटे 20 हजार मेडिकल छात्रों के भविष्य को लेकर आज बड़ा ऐलान किया है। सरकार ने यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को फ़ोरेन मेडिकल ग्रेजुएशन एग्ज़ाम में बैठने की इजाज़त दे दी है।
विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, करीब 20,000 भारतीय छात्र यूक्रेन से लौटे हैं. बता दें कि कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने नियमों का हवाला देते हुए जान बचाने के लिए करिअर दांव पर लगाकर लौटे छात्रों को राहत देने से इनकार कर दिया। वृहस्पतिवार को 28 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मेडिकल के अंतिम वर्ष के उन छात्रों को एफएमजी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी, जो कोविड और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत लौटे हैं और जिन्हें अधिसूचना तिथि पर डिग्री प्राप्त हुई है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने 23 जून को एक हलफनामे में कहा कि विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने पर, ऐसे विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट को मौजूदा एक साल के मानदंड के बजाय दो साल के लिए कंपलसरी रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप करनी होगी। विदेशी चिकित्सा स्नातक दो वर्ष तक सीआरएमआई पूरा करने के बाद ही पंजीकरण के पात्र होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ये निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को आयोग से रूस-यूक्रेन युद्ध और महामारी से प्रभावित एमबीबीएस छात्रों को एक बार के उपाय के रूप में यहां के मेडिकल कॉलेजों में अपना क्लीनिकल प्रशिक्षण पूरा करने की अनुमति देने के लिए दो महीने में एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।