November 17, 2024

पुस्तको में वर्णित सद्ज्ञान मनुष्य के आत्मिक उत्थान का आधार

Faridabad/Alive News: यह तो सब जानते है कि मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कलाकृति है क्योंकि उस के पास अपार बौद्धिक बल है और उसकी बुद्धि में, भौतिक ज्ञान के साथ-साथ, सत्व के प्रकाश के कारण आत्मिक ज्ञान को ग्रहण करने की भी अनादि योग्यता है नि:संदेह इस हेतु बौद्धिक क्षमता का विकास करना अनिवार्य है।

जोकि ज्ञान प्राप्ति की समुचित क्रिया यानि नैतिकता से भरपूर कुदरती आए आध्यात्मिक वेद शास्त्रों व सद्ज्ञान से भरपूर पुस्तकों के अध्ययन द्वारा ही संभव है। ऐसी पुस्तकें के पठन, चिंतन व मनन द्वारा ही मनुष्य के अन्दर विचार-अविचार, संग-कुसंग, सन्मार्ग-कुमार्ग, पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म, आत्मा-अनात्मा, भले-बुरे, सही-गलत, सार्थक निरर्थक का विवेक उत्पन्न होता है और वह मन की कल्पना से उत्पन्न तमाम संशयों भ्रमों का निवारण कर, अपने अन्दर निर्मल सद्भावों का विकास करने में सक्षम हो, निश्चयात्मक व्यक्तित्व का स्वामित्व प्राप्त कर सकता है।

इसी तरह वह अपना सात्विक सकारात्मक विकास कर एक चरित्रवान इंसान की भांति, असत्य से सत्य की ओर, मृत्यु से अमृतत्व की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर प्रशस्त हो सकता है और एक सशक्त इंसान की भांति समाज के उत्थान में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

यह विचार है ग्रेटर फरीदाबाद स्थित, सतयुग दर्शन ट्रस्ट के। इसलिए नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2024 में ट्रस्ट का जितना भी साहित्य देखने व पढ़ने को मिल रहा है, उसके अंतर्गत मनुष्य के यथार्थ के दर्शन होते हैं और वह किसी न किसी रूप में व्यक्ति के नैतिक आध्यात्मिक उत्थान से जुड़ा हुआ है।

इसके अतिरिक्त इस साहित्य के अंतर्गत जो एक विशेषता दिखी है वह है कि युग परिर्वतन के सत्य को दृष्टिगत यह इंसानों को अपने अन्दर भाव स्वभाविक तबदीली ला, समभाव-समदृष्टि अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। यदि ध्यान से देखा जाए तो हमारी नई शिक्षा नीति 2020 भी कुल विश्व में शांति लाने हेतु मानवीय शिक्षा के रूप में भौतिक ज्ञान के संर्वद्धन के साथ साथ, आध्यात्मिक मूल्यों और नैतिक शिक्षा के महत्त्व को स्वीकार रही है और छात्रों के अंदर नैतिक मूल्यों का विकास करने के लिए प्रेरित कर रही है।

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक युवराज मलिक जी ने भी इसी बात को स्वीकारा है और कहा है कि एक पुस्तक आप कर जीवन बदल सकती है क्योंकि जिसके पास ज्ञान है, उसे ही मुक्ति मिल सकती है। अत: ऐसे में सतयुग दर्शन ट्रस्ट का यह कदम सराहनीय है। आप चाहे तो आप भी हाल नंबर वन में लगे ट्रस्ट के इस स्टॉल का अवलोकन कर सकते हैं और आध्यात्मिक मार्गदर्शन हेतु यहां से पुस्तकें ले जा सकते हैं।