Faridabad/Alive News: राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद में जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में वैश्विक बाल सुरक्षा दिवस पर ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि वैश्विक सतह पर हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले बच्चे होते हैं। समझ पाने या खुद की सुरक्षा कर पाने में असमर्थ उन्हें मानसिक पीड़ा, भावनात्मक और शारीरिक दुख झेलना पड़ता है। उसकी स्वीकृति में हर वर्ष हम 4 जून को इंटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रन विक्टिम्स ऑफ अग्रेशन मनाते हैं।
इस दिन संयुक्त राष्ट्र संघ बाल अधिकार की सुरक्षा को मजबूत करने और हिंसा से बचाने लिए अपने कर्तब्य की पुष्टि सुनिश्चित करता है। प्राचार्य ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि हाल के वर्षों में बच्चों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं, हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों और देशों में रहनेवाले 250 मिलियन बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ ठोस किए जाने की जरूरत है यह दिन बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह दिन विश्व भर में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण का शिकार हुए बच्चों को होने वाले दर्द को स्वीकार करने के लिए मनाया जाता हैं। इस दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य पीड़ितों बच्चों द्वारा झेले जाने वाले दर्द और पीड़ा के बारे में जागरूकता फैलाना है।
उन्होंने कहा कि बच्चे फिजिकल, मेंटल और इमोशनल अब्यूज का शिकार हैं, फिजिकल अब्यूज में बात- बात पर बच्चों को डांटना, मारना, चिल्ला देना तथा उन्हें कभी भी मोटिवेट नहीं करना। जब कि मेंटल अब्यूज में मानसिक तौर पर बच्चों को प्रताड़ित किया जाता है। कई बार बच्चे स्कूल में अच्छा परफाॅर्म नहीं करते हैं तब उन्हें बात- बात पर डांट लगाई जाती है और पेरेंट्स से शिकायत करने की बात कही जाती है। जब कि इमोशनल अब्यूज में बच्चों को इमोशनल ब्लैकमेल कर उनके साथ बल पूर्वक अनैतिक काम करवाया जाता हैं। परिवार में अच्छे – बुरे का भेदभाव करना, घर में ही भाई और बहन में भेदभाव करना।
जानकारी के मुताबिक ह्यूमन राइट्स वाॅच द्वारा एक सर्वे किया गया जिस के अनुसार हर दूसरा बच्चा चाइल्ड अब्यूज का शिकार होता है तथा हर चौथा परिवार अपने बच्चों के साथ हुई इस घटना को छुपाने की कोशिश करता है। दिनभर सुस्त और अकेले रहना, किसी काम में रूचि नहीं होना, दिनभर गुस्सा रहना और भूख नहीं लगना, हर बात की जिद करना, कहीं भी मन नहीं लगना आदि ऐसे बच्चों की पहचान होती है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा, प्राध्यापिका जसनीत कौर एवम छात्राओं भूमिका, राधा गुप्ता, सोनी, खुशी और अंजुम ने बच्चों के मनोविज्ञान को समझ कर उन्हें हर प्रकार की प्रताड़ना और अब्यूज से बचाने का आह्वान किया।