Fatehabad/Alive News : सरकारी व्यवस्था की भी अजीब विडंबना है। एक तरफ तो संवेदनाएं दिखाई जाती है, दूसरी तरफ उसे बेदिल लागू कर कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है। कुछ ऐसा ही मामला देश के भविष्य के लिए लागू की गई खुशबूदार दूध के संदर्भ में सामने आया है। हैरानी की बात तो यह कि नौनिहालों के लिए दूध तो पहुंच गया लेकिन अब समस्या यह आ रही कि वे दूध पीएं तो किसमें। स्कूलों में बर्तन ही नहीं है। हैरानी की बात तो यह भी है कि विभागीय अधिकारी यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि पंचायतें बर्तन की व्यवस्था करेंगी। सच तो यह कि करीब एक साल से बच्चों को फ्लेवर दूध देने का इंतजार था, जो कि अब खत्म हो गया।
स्कूलों में वीटा प्लांट की तरफ से पैकेट पहुंचने शुरू हो गए हैं। इसमें मौजूद पाउडर से दूध तैयार किया जाना है। शिक्षा विभाग ने दूध देने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। लेकिन स्कूल शिक्षकों के सामने चुनौती बन गया है कि बिना बर्तनों के दूध कैसे तैयार किया जाए और पिलाया किस में। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में न तो बर्तनों की कोई व्यवस्था की है और न ही कोई गाइडलाइन तैयार की है कि कब-कब दिया जाना है। स्कूल शिक्षक इसको लेकर असमंजस की स्थिति में हैं। वीटा प्लांट की तरफ से स्कूलों को दूध के पैकेट पहुंचाने का काम शुरू हो गया है। लेकिन स्कूल इंचार्ज व शिक्षकों का कहना है कि बच्चों को दूध किसमें दिया जाए। स्कूलों के पास गिलास ही नहीं है जबकि बच्चों की संख्या के मुताबिक के गिलास चाहिए। इसके अलावा दूध तैयार करने के लिए स्कूलों में बर्तन भी नहीं है।
पंचायतों को मिड-डे-मिल सौंपने की प्रक्रिया जारी
बता दें कि राज्य सरकार ने मिड-डे-मिल की जवाबदेही पंचायतों को देने की घोषणा की थी। हालांकि यह सरकारी व्यवस्था भी अभी धरातल पर नहीं उतर पाई है। बताते हैं कि अभी इसकी प्रक्रिया ही चल रही है। उपायुक्त ने बर्तनों की सुविधा के लिए पंचायतों को निर्देश दिये थे। सवाल यह कि शिक्षा विभाग की व्यवसथा को पांयत क्यों ढोए?
जिले के सरकारी स्कूलों में बच्चों की स्थिति
मिडलप्राइमरीमिड डे मील में जिस स्कूल में बर्तनों की कमी है वह ग्राम पंचायत से संबंध में डिमांड कर सकता है। पिछले दिनों हुई मीटिंग में उपायुक्त ने आदेश जारी किए थे। स्कूलों को इस संबंध में बता दिया गया है – संगीता बिश्नोई , जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, फतेहाबाद
तीन महीने की एक्सपायरी, एक महीना खत्म
बच्चों में कैल्शियम व फास्फोरस की कमी को दूर करने के लिए बच्चों को मिड डे मील में दूध दिया जा रहा है। इसको लेकर बकायदा शिक्षकों को ट्रेनिंग भी करवाई गई। वीटा प्लांट की तरफ से पैकेट पहुंचने शुरू हो गए हैं। एक किलोग्राम के पैकेट से 50 बच्चों के लिए दूध तैयार किया जाना है। शिक्षकों का कहना है कि दूध के पैकेट की एक्सपायरी तीन महीने की है जबकि एक महीना बीत चुका है। इसके अलावा न ही कोई गाइडलाइन जारी की गई है कि कब दूध दिया जाना है। दूध सप्ताह में तीन दिन दिया जाना है लेकिन इसके लिए कोई दिन तय नहीं किया गया है। बताया गया है कि सोमवार व मंगलवार को छोडक़र अन्य चार दिन में तीन दिन दिया जाना है लेकिन कोई लिखित आदेश नहीं दिए गए हैं।