November 17, 2024

खोरीवासियों से मिलने पहुंचे पूर्व सांसद ने पीएम और सीएम पर उठाए सवाल

Faridabad/Alive News: परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह पूर्व सांसद डॉ उदित राज ने आज खोरी गाँव में लोगों से मुलाकात की। ग्रामीणों से मुलाकात करते हुए डॉ उदित राज ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। यह मामला न्यायिक से ज्यादा मानवीय है। पूरी दुनिया में इस तरह से नागरिकों के साथ व्यवहार नही किया गया होगा।

खोरी गाँव के एक लाख से ज्यादा लोगो को आज दर-बदर की ठोकर खाने के लिए छोड़ दिया गया है। सरकार इसको सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा मामला बताकर पल्ला झाड़ लेना चाहती है। परन्तु अगर सरकार चाहे तो इस मामले का हल निकल सकता है। असल में मोदी और खट्टर की सरकार गरीब विरोधी है। प्रधानमंत्री को निशाने पर लेते हुए डॉ उदित राज ने कहा कि मोदी जी चुनाव के वक़्त खुद को गरीब का बेटा बताकर वोट लेते हैं।

लेकिन सच यह है कि उनके मन में गरीबों के लिए कोई दया भाव नहीं है। अगर खोरी गांव अवैध है तो सरकार यह बताये की खोरी गांव में बिजली कहां से पहुंची? खोरी गांव में पानी का कनेक्शन कैसे आया? यहाँ के ग्रामीणों का आधार कार्ड, वोटर कार्ड, परिवार पहचान पत्र, बिजली बिल आदि कैसे बने?

इस मौके पर खोरी गांव बचाओ आन्दोलन से जुडी परिसंघ की सोशल एक्टिविस्ट मीनू वर्मा भी साथ रही। खोरी गाँव की लडाई को लगातार लड़ने वाली मीनू वर्मा ने कहा कि- जो खोरी गाँव में हो रहा है। यह सरासर अन्याय है। हम इस लड़ाई को आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे। इस गाँव के लोग आत्मह्त्या कर रहे हैं, पीने का साफ़ पानी नहीं है। बिजली काट दी गयी है। क्या यही विश्वगुरु की पहचान है कि एक पूरा गांव देश की सरकार ही उजाड़ दे।

11 साल के विकलांग बच्चे से लेके 2 महीने का जन्मा बच्चा आज अपने ही टूटे हुए घर के मलबे के ढेर पर मरने को मजबूर है | अगर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार नही किया गया तो हजारों बच्चे मौत के घाट उतर जायेंगे | मीनू वर्मा ने सरकार से पूछा कि आखिर इनका घर उजड़ने के बाद खोरी गांव के लोग खाना जायेंगे और कैसे गुजर-बसर करेंगे?

परिसंघ नेता संजय राज ने कहा कि खोरी गांव इसी देश का हिस्सा है और यहाँ के ग्रामीण इसी देश के नागरिक हैं। वोट देते वक़्त यहाँ के लोग वैध रहते हैं और बाकी समय अवैध कैसे हो सकते हैं. क्या यही 21वीं सदी का भारत है? जहां लोग पिछले 1 महीने से ज्यादा बिन पानी और बिजली के अभाव में मरने के कगार में हैं | क्या खोरी गाँव की बहन – बेटियाँ, बच्चे इस देश के नही हैं ? क्यों उन्हें मरने की कगार पर छोड़ दिया गया है?