November 17, 2024

595 स्कूलों में से मात्र 170 के पास फायर एनओसी

संकट में हजारों छात्रों का जीवन, बिल्डिंग नहीं महफूज, प्रशासन सुस्त

Poonam Chauhan/Alive News : शिक्षा विभाग और प्रशासन की मौजूदा कार्यशैली हजारों छात्रों के जीवन पर संकट बनकर मण्डरा रही है। हजारों छात्रो के जीवन को दाव पर लगाकर प्रशासनीक अधिकारी चैन की नींद सो रहे है। आपको बता दें, 2009 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए ‘स्टेट स्कूल सेफ्टी पॉलिसी’ लागू की थी। इसके तहत अलग-अलग विभागों को सभी प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में अपने विषय से संबंधित सुरक्षा जांच करनी थी और नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देना था। इसके लिए हर जिले के डीसी के अधीन एक कमेटी बनाई गई थी। लेकिन 9 साल बीत जाने के बावजूद भी प्रदेश के किसी भी विभाग ने न तो इस विषय को गंभीरता से लिया और न ही इस दिशा में कोई कार्यवाही की।

इसका खुलासा रविन्द्र चावला द्वारा लगाई गई आरटीआई से हुआ। बड़े मजे की बात तो यह है कि शहर की सरकारी बिल्डिंगे जिनमें सरकार के अधिकारी बैठते है। उनमें से अधिकतर बिल्डिगों की एनओसी तक विभागों के पास नही है। फरीदाबाद की जनता के लिए यह चौंका देने वाला खुलासा है। अब सोचिए जरा, जो अधिकारी हमें सेफ्टी का पाठ पढ़ाते है जब वहीं सरकार के नियमों की धज्जियां उडाऐंगे तो उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। पहले प्रशासनिक अधिकारियों को सरकारी स्कूल और सरकारी बिल्डिगों को एनओसी देनी चाहिए उसके बाद निजी स्कूल, हॉटल, रेस्टरां पर एनओसी न होने की कार्रवाही करनी चाहिए क्योंकि आपदा के समय जान-माल की हानि जितनी निजी संस्थान में होती है उतनी ही सरकारी संस्थानों में भी होगी। एक तरफ तो भारत सरकार ने भवन निर्माण के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) जारी किया।

जिसके अंतर्गत हरियाणा में हरियाणा अग्निशमन सेवा अधिनियम-2009 के तहत कार्य किया जा रहा है। एनबीसी के तहत फायर एंड लाइफ सेफ्टी के लिए स्कूल, कॉलेज, होटल, मैरिज पैलेस, अस्पताल, कमर्शियल भवन इत्यादि में अग्निशमन यंत्र लगाने और उनकी सुरक्षा का प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। वर्तमान में तो नक्शे भी तभी पास होते हैं जब दमकल विभाग एनओसी जारी करता है, तो सोचिए ये कितना जरूरी है, फिर क्यों इसे गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है।

– 425 स्कूलों के पास नहीं है एनओसी
शहर में 503 हाई और सी.सै. निजी स्कूल चल रहे है वहीं 92 हाई और सी.सै.सरकारी स्कूल है। लेकिन फायर विभाग के द्वारा मात्र 170 स्कूलों को ही फायर एनओसी दी गई है, बाकी 425 स्कूल भगवान भरोसे ही चल रहे है। ऐसे में अगर इन स्कूलों में कोई आगजनी घटना घटित हो जाती है तो उसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन में से कौन लेगा?

– फायर सेफ्टी के लिए क्या है जरूरी
प्रत्येक स्कूल तथा कॉलेज में अगिनशमन यंत्र, आग बुझाने वाला सिलेंडर, पानी का टैंक, आग बुझाने की पाइप, अलार्म की व्यवस्था, मोटर पंप एवं पानी और रेत से भरी बाल्टियां एक स्थान पर टंगी होनी चाहिए। स्कूल के हर क्लास में दो दरवाजे होने चाहिए। आग लगने की स्थिति में आपात निकासी की व्यवस्था, नीचे उतरने के लिए एक तरफ सीढिय़ा तथा दूसरी तरफ रेम्प होना चाहिए।

– क्या कहते है आरटीआई एक्टिविस्ट

हरियाणा सरकार ने 2009 में स्कूली बच्चों को लेकर सेफ्टी पॉलिसी बनाई थी जिसके तहत सरकारी, एडिट और निजी स्कूलों में यह पॉलिसी लागू होनी थी। लेकिन न तो जिला शिक्षा अधिकारी और न ही जिला उपायुक्त इस पॉलिसी को लेकर गंभीर दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि शायद अधिकारियों को डब वाली जैसे हादसे का इंतजार है अगर कोई हादसा होता है तो उसकी जिम्मेंदारी शासन, प्रशासन में से किसकी होगी।
– रविन्द्र चावला, आरटीआई एक्टिविस्ट

– क्या कहती हैं जिला शिक्षा अधिकारी
एनओसी लेने के लिए सभी स्कूलों को पत्र भेजा जा चुका है। 8 जनवरी तक 170 स्कूलों ने एनओसी ले ली थी, बाकी स्कूलों को भी कहा है जल्द एनओसी लेकर विभाग में जमा कराए। उन्होंने कहा कि अगर कोई स्कूल नियमों की अनदेखी करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
-सतेन्द्र कौर, जिला शिक्षा अधिकारी।