November 18, 2024

किसान आंदोलन के सात माह पूरे होने पर किसान राज्यपाल को सौंपेंगे ज्ञापन

Chandigarh/Alive News : कृषि कानून रद्द कराने की मांग के लिए शुरू हुए किसान आंदोलन को आज सात महीने पूरे हो गए हैं। बता दें कि केन्द्र सरकार पिछले वर्ष सितंबर माह में 3 नए कृषि विधेयक कानून लाई थी, जिन पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद वे कानून बन थे। तभी से किसानों को यह कानून रास नहीं आ रहे है। उनका कहना था कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा साथ ही किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाने का भी डर था।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक किसान आंदोलन के सात माह पूरे होने पर 32 किसान संगठनों ने चंडीगढ़ से राजभवन तक रोष मार्च निकालने का फैसला किया है। यह रोष मार्च शनिवार को देशभर में कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस के तहत निकाला जा रहा है। राजभवन पर पहुंचकर किसान राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपेंगे।

मिली जानकारी के अनुसार पंजाब के किसान जीरकपुर और मुल्लांपुर बैरियर से चंडीगढ़ में घुसे। वहीं हरियाणा के किसान हाउसिंग बोर्ड लाइट प्वॉइंट से चंडीगढ़ में आएंगे। इन रास्तों पर पुलिस बल तैनात है। पंचकूला में पुलिस ने घग्गर नदी के पुल के पास हैवी बैरिकेडिंग की है। इसके अलावा किसानों को रोकने के लिए बैरिकेड के साथ सीमेंट की बीम भी लगाई गई है।

भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा के प्रधान बूटा सिंह बुर्जगिल, सीनियर उपाध्यक्ष मनजीत सिंह धनेर, गुरमीत सिंह भट्टीवाल और महासचिव जगमोहन सिंह पटियाला ने बताया कि गुरुद्वारा अंब साहिब मोहाली में पंजाब के सभी 32 किसान नेता और अन्य संगठनों के नेता पहुंचेंगे।

कृषि कानून रद्द कराने की मांग के लिए पिछले सात महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन करने की बात कही है। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शनपाल, जगजीत सिंह दल्लेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, युद्धवीर सिंह ने कहा कि यह दिन आपातकाल के 46 साल पूरे होने के तौर पर भी मनाया जा रहा है। क्योंकि तब नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगा था और इस समय भी ऐसा ही अंकुश लगाया जा रहा है। सात महीने बात भी सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है। उनकी आवाज को दबाया जा रहा है।