Poonam Chauhan/Alive News
Faridabad : इस सीजन शहर के लोगों को गर्मी के साथ-साथ प्रदूषण से भी राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे है। कुछ दिनों की मामूली राहत के बाद एक बार फिर गर्मी बढ़ने लगी है, शहर का तापमान 44 से 45 डिग्री सेल्सियस पहुंच रहा है। इसके साथ ही एयर क्वालिटी इंडेक्स 257 दर्ज किया गया जोकि सामान्य से 5 गुना अधिक है। वायु प्रदूषण के मामले में फरीदाबाद शहर अक्सर टॉप फाइव प्रदूषित शहरों में शुमार रहता है। वायु प्रदूषण के मामले में शहर काफी बदनाम है, सर्दियों में तो हालात अत्यधिक खराब हो जाते हैं। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 तक पहुंच जाता है। पिछले सीजन में फरीदाबाद कई बार देशभर के प्रदूषित शहरों की सूची में नंबर एक पर आया था। शहर की ऐसी स्थिति देखकर प्रशासनिक अधिकारियों व नेताओं को एक बार फिर से हरियाली की याद आने लगी है। अधिकारियों व नेताओं को शहर में ऑक्सीजन की चिंता सताने लगी है। हर साल की भांति इस साल भी लाखों पौधे हरियाली के नाम पर लगाए जाएंगे, लेकिन यह पौधे हरियाली देते हैं या फिर रखरखाव के अभाव में सूख जाएंगे यह तो देखने का विषय है। निगम अधिकारियों ने इस साल भी लोगों को हसीन सपने दिखाने का खाका तैयार कर लिया है। मियावाकी पद्धति के द्वारा इस साल 11लाख पौधे सड़क किनारे व ग्रीन बेल्ट पर लगाए जाएंगे।
करोड़ों खर्च परिणाम शून्य
हर साल पर्यावरण के लिए करोड़ों रुपए का बजट बनाया जाता है बरसात के दिनों में लाखों की संख्या में पौधे लगाने का लक्ष्य रखा जाता है। सरकार द्वारा ऐसे तमाम कामों के लिए हर साल प्रदेश के सभी जिलों के वन विभागों को बजट भेजा जाता है। जिला वन विभाग की तरफ से पिछले कुछ सालों के दौरान अरावली के वन क्षेत्र में लाखों की संख्या में पौधे और उनकी सुरक्षा के लिए फ्री गार्ड तो लगाए गए थे। लेकिन कभी भी इन पौधों की सिंचाई नहीं की गई जबकि पौधों की सिंचाई के लिए वन विभाग की तरफ से टेंडर भी जारी किए गये थे। यदि विभाग ने टेंडर जारी किया है तो सिंचाई ना करने पर ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। यदि टेंडर जारी नहीं किया गया तो पौधे की सिंचाई के लिए बनाया गया बजट आखिर कहां खर्च किया गया। ये सवाल वन विभाग पर खड़े हो रहे हैं।
प्रदूषित शहर होगा हराभरा
शहर के टॉप प्रदूषित शहरों में शुमार औद्योगिक नगरी फरीदाबाद की हवा साफ करने की योजना इस बार भी बनाई गई है। जापान के मियावाकी की तर्ज पर अब यहां 11 लाख पौधे लगाने की तैयारी हो रही है। साथ ही सड़कों के डिवाइडर व ग्रीन बेल्ट पर 11 लाख झाड़ी नुमा पौधे रोपे जाएंगे। खास बात यह है कि इसके लिए राज्य स्तर पर एक संयुक्त बागवानी शाखा तैयार की जाएगी। इस शाखा को अपनी नर्सरी और अन्य संसाधन भी उपलब्ध होंगे। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कर चुके हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य शहरों को हरा भरा करना है।
क्या कहना है संबंधित अधिकारी का
हमारे अंडर में कुछ रोड और उनकी ग्रीन बेल्ट आती हैं। जितनी ग्रीन बेल्ट हमारे पास हैं उनकी देखरेख का काम हम बखूबी कर रहे हैं। ग्रीन बेल्ट में डालने के लिए जब पानी की कमी हुई तो हम एसटीपी का पानी इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे पास लिमिटेड स्कोप हैं और हम उसी पर काम कर रहे हैं।
- डॉ गरिमा मित्तल, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एसएमडीए।