May 7, 2024

पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के ठिकानों पर ED ने की छापेमारी

New Delhi/Alive News : पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement derectorate) ने छापेमारी की है. ईडी ने कार्ति चिदंबरम के चेन्नई और दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी की है. एक चैनल के अनुसार ईडी की यह छापेमारी एयरसेल-मैक्सिस डील के मामले में हुई है. आपको बता दें कि इस केस की एक याचिका पर सुनवाई करने से कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने खुद को अलग कर लिया था.

क्या थी एयरसेल-मैक्सिस डील:-
– मैक्सिस मलेशिया की एक कंपनी है जिसका मालिकाना हक एक बिजनेस टॉयकून टी आनंद कृण्णन के पास है जिन्हें टैक नाम से भी जाना जाता है. टैक श्रीलंका की तमिल पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले एक मलेशियाई नागरिक है.
– एयरसेल को सबसे पहले एक एनआरआई टॉयकून सी सिवसंकरन (सिवा) ने प्रमोट किया था, जो कि तमिलनाडु के मूल निवासी थे.
– साल 2006 में मैक्सिस ने एयरसेल की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी. बाकी की 26 फीसदी हिस्सेदारी अब एक भारतीय कंपनी, जो कि अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप से संबंधित है के पास है. इन 26 फीसदी शेयर का मालिकाना हक सुनीता रेड्डी के पास है जो कि अपोलो के ग्रुप फाउंडर डॉ सी प्रताप रेड्डी की बेटियों में से एक हैं.
– ये डील उस वक्त विवादों के घेरे में आ गई जब 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला उजागर हुआ। तब देश के सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि वो इस मामले में ए राजा के पूर्ववर्ती मंत्रियों की जांच करे.

मामले से जुड़ी अहम बातें:
– सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि वो ए राजा से पहले दूरसंचार मंत्री रहे दयानिधि मारन के खिलाफ जांच करे. इस मामले के चलते मारन को अप्रैल साल 2011 में इस्तीफा देना पड़ा था.
– एयरसेल-मैक्सिस डील उस वक्त जांच के घेरे में आ गई जब एयरसेल के मालिक सी सिवसंकरन ने शिकायत दर्ज करते हुए सीबीआई को यह बताया था कि उन पर मैक्सिस को अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए दबाव बनाया गया था.
– दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की इस मामले में अलग अलग राय को देखते हुए मैक्सिस कम्युनिकेशंस Berhad ने 25 जुलाई 2014 को तात्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से यह आग्रह किया था कि इस मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच करवाई जाए.
– सीबीआई ने 29 अगस्त 2014 को पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन, मलेशियाई कंपनी मैक्सिस के ओनर टी आनंद कृष्णन, मैक्सिस ग्रुप के वरिष्ठ कार्यकारी राल्फ मार्शल और सन डायरेक्ट समेत चार अन्य कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.
– एयरसेल मैक्सिस मामले में समन भेजे जाने के 2जी स्पेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ मारन ने 5 फरवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
– 8 जनवरी 2016 को ईडी ने अपनी ताजा चार्जशीट में मारन बंधु, कलानिधि मारन की पत्नी कावेरी मारन, तीन अन्य लोग और दो कंपनियों को शामिल किया।

प्रधान न्यायाधीश ने खुद को अलग किया
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने एयरसेल-मैक्सिस सौदे से संबंधित धन शोधन मामले के सिलसिले में कार्ति चिदंबरम और दो फर्मो की उस याचिका पर सुनवाई से 10 जनवरी को खुद को अलग कर लिया जिसमे तदर्थ आधार पर उनकी संपत्ति जब्त करने के प्रवर्तन निदेशालय के फैसले को चुनौती दी गयी है. प्रधान न्यायाधीश, जो न्यायमूर्ति एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की सदस्यता वाली खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे थे, ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन से संबंधित मामले की सुनवाई की थी, इसलिए वह इन याचिकाओं की सुनवाई नहीं करना चाहेंगे.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैंने दिल्ली उच्च न्यायालय में 2जी मामले की सुनवाई की थी.’’ पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई अब न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी जो पहले से ही इसी तरह के मामले पर विचार कर रही है.वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर, जिन्हें 2जी मामलों में शीर्ष अदालत ने विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया था और प्रवर्तन निदेशालय का प्रतिनिधत्व कर रहे थे, ने कहा कि इसी तरह का मामला न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष 16 जनवरी के लिये सूचीबद्ध है.

क्या था पूरा मामला
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम और एडवान्टेज स्ट्रैटेजिक कंसलटिंग प्रा लि सहित दो कंपनियों ने एयरसेल-मैक्सिस सौदे से संबंधित कथित अपराध की रकम के सिलसिले में धन शोधन रोकथाम कानून के तहत अपनी संपत्ति तदर्थ आधार पर जब्त करने के प्रवर्तन निदेशालय के फैसले को चुनौती दी है. संयुक्त निदेशक और 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन मामलों के जांच अधिकारी ने इनकी संपत्तियां तदर्थ आधार पर जब्त करने का आदेश दिया था. यह मामला तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा 2006 में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड को दी गयी मंजूरी से संबंधित है. जांच एजेन्सी यह पता लगा रही हैं कि तत्कालीन वित्त मंत्री ने किन परिस्थितियों में यह मंजूरी प्रदान की थी.