November 6, 2024

जाने कब है अधिकमास की विनायक चतुर्थी,19 साल बाद बना है खास संयोग

प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित किया गया है। इस दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा की जाती है। इस समय सावन का महीना चल रहा है श्रीहरि का प्रिय महीना अधिकमास 18 जुलाई 2023 से शुरू हो रहा है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। सावन में अधिकमास की चतुर्थी 19 साल बाद आई है। यही वजह है कि इस साल अधिकमास की विनायक चतुर्थी बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

सावन की पहली विनायक चतुर्थी अधिकमास में 21 जुलाई 2023 पड़ रही है। इस दिन रवि योग भी है। ऐसे में इस दिन व्रत रखकर पूजा करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होगी और आपके जीवन में रिद्धि-सिद्धि का वास होगा। चतुर्थी तिथि के स्वामी गणपति जी है, वहीं अधिकमास विष्णु जी को समर्पित है, सावन शिव का प्रिय महीना है। ऐसे में सावन अधिकमास की चतुर्थी तिथि का व्रत करने वालों को इन तीनों देवताओं के आशीर्वाद से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

अधिकमास विनायक चतुर्थी 2023 मुहूर्त – श्रावण मास में अधिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 जुलाई को प्रात: काल में 06 बजकर 58 मिनट से शुरू हो रही। इस तिथि का समापन 22 जुलाई को सुबह 09 बजकर 26 मिनट पर होगा। ऐसे में सावन की पहली विनायक चतुर्थी 21 जुलाई शुक्रवार को मनाई जाएगी। विनायक चतुर्थी तिथि गणपति जी की जन्म तिथि है, विद्वानों के अनुसार श्री गणेश का जन्म मध्यकाल में हुआ था, इसलिए विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा दिन में की जाती है।

विनायक चतुर्थी पूजा विधि– विनायक चतुर्थी के दिन प्रातः स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और भगवान गणेश के सामने प्रार्थना करते हुए पूजन का संकल्प लें।
विघ्नहर्ता गणेश की मूर्ति एक चौकी पर स्थापित करें और उनका जलाभिषेक करें।
बप्पा को चंदन का तिलक लगाएं, वस्त्र, कुमकुम, धूप, दीप, लाल फूल अक्षत, पान, सुपारी आदि अर्पित करें। गणपति बाप्पा को मोदक और दूर्वा घास बेहद पसंद है।
ऐसे में गणेश जी की कृपा पाने के लिए विनायक चतुर्थी के दिन मोदक या लड्डू का भोग जरूर लगाएं और दूर्वा जरूर चढ़ाएं।

अधिकमास विनायक चतुर्थी महत्व – अधिकमास हर 3 साल बाद आता है। यही वजह है कि इस माह के हर व्रत-त्योहार का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है। पुराणों के अनुसार अधिकमास की विनायक चतुर्थी पर गणपति जी की पूजा करने वालों को कभी धन की कमी नहीं रहती। संतान प्राप्ति के लिए ये व्रत उत्तम फलदायी माना गया है। विनायक चतुर्थी व्रत के प्रभाव से हर संकट और बाधा का नाश होता है।