Palwal/Alive News: असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक और कई अन्य स्थानों पर पिछले दो हफ्तों में कोविड ड्यूटी पर डॉक्टरों पर हिंसा की श्रृंखला को देखकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सभी डॉक्टर दुखी हैं। कई डॉक्टरों को फ्रैक्चर और गंभीर चोटें लगी हैं और महिला डॉक्टरों को मौखिक हिंसा और शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ता है। आईएमए पलवल का कहना है कि प्रतिदिन ऐसा हो रहा है। हमने इसे माननीय प्रधान मंत्री, माननीय गृह मंत्री और माननीय स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में लाने की पूरी कोशिश की है और यह मुद्दा सहिष्णुता के स्तर से परे उबल रहा है।
उन्होंने केंद्रीय मांग करते हुए कहा कि अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर संरक्षण अधिनियम आईपीसी और सीआरपीसी में इसकी धाराओं को शामिल करने के साथ प्रत्येक अस्पताल में मानकीकरण और सुरक्षा में वृद्धि हो। अस्पताल को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाएगा। मारपीट के दोषियों को फास्ट ट्रैक मोड के तहत दंडित किया जाए और कड़ी सजा दी जाए।
18 जून को अपनी एकजुटता दिखाने के लिए ‘राष्ट्र विरोध दिवस’ का आह्वान किया है। चिकित्सा पेशे और चिकित्सकों पर हमले को रोकने के लिए किया जाता है। जिसका नारा है उद्धारकर्ता को बचाओ (#Save the saviours) गैर-आवश्यक और गैर-कोविड सेवाओं को सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक 6 घंटे के लिए स्थगित रखेंगे। पलवल में और देश भर में आईएमए की सभी शाखाओं में आईएमए के सदस्य अधिकारियों को ज्ञापन देंगे और सांसदों और विधायकों से मिलेंगे आदि।