September 10, 2024

लंपी स्किन बीमारी से बचाव के लिए जिले को मिली 27 हजार 200 वैक्सीन की डोज

Faridabad/Alive News : पशुओं की लम्पी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग की टीम गांव पहुंचकर पशुपालकों को लगातार जागरूक कर रही हैं। डीसी ने कहा कि पशु पालकों को लम्पी बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। शासन-प्रशासन की ओर से बीमारी की रोकथाम के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं। किसी भी पशु में लक्षण प्रतीत होने पर तुरंत अपने नजदीक के पशु चिकित्सक से संपर्क करें। पशुपालन विभाग के पास बीमार पशु के इलाज के लिए पशु चिकित्सक व दवाई उपलब्ध हैं।

उपनिदेशक कार्यभार पशुपालन विभाग डॉ विनोद दहिया के मोबाइल नंबर 9643577557 पर संपर्क कर सकते हैं। पशु बीमार होने पर पशुपालक तत्काल अपने नजदीक के सरकारी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें। विभागीय टीमों द्वारा पशुपालकों को बीमारी से बचाव के तरीके समझाए जा रहे हैं। पशु बीमार होने पर इलाज के लिए कैसे और कहां संपर्क करें यह भी बताया जा रहा है।

उपायुक्त यशपाल ने कहा कि जिला में लम्पी की रोकथाम के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। पशुपालन विभाग द्वारा बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण, फॉगिंग, स्प्रे का कार्य तेज गति से चलाया हुआ है। जिला फरीदाबाद को अब तक 35 हजार 300 वैक्सीन की डोज मिल चुकी है। इनमें से आठ हजार एक सौ डोज जो पहली खेप में मिली वह पशुओं को लगाई भी जा चुकी है। दूसरी खेप में मिली 27 हजार 200 वैक्सीन की डोज बीते शाम यानी वीरवार से पशुओं लगानी शुरू कर दी गई है। जिला भर की गौशालाओं में फॉगिंग व स्प्रे किया जा रहा है। गौशाला संचालकों के साथ पशुपालन विभाग की टीमें निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं।

डीसी यशपाल ने बताया कि पशुपालन एवं डेयरी विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिला फरीदाबाद में 39 हजार के लगभग पशु है। जिला फरीदाबाद में कुल 66 पशु अस्पताल हैं। इनमें से 22 बड़े पशु अस्पताल हैं। इनमें बल्लभगढ़ ब्लाक में 11, बड़खल ब्लाक में 5 और फरीदाबाद ब्लाक में 6 बड़े पशु अस्पताल हैं। इसी प्रकार जिला फरीदाबाद में 44 छोटे पशु अस्पताल शामिल हैं।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग के डॉक्टर विनोद दहिया ने बताया कि यह गोवंश व भैंसों में फैलने वाला वायरस जनित रोग है। इस बीमारी में पशु को तेज बुखार, नाक व मुंह से पानी गिरना, भूख न लगना, दूध में गिरावट आदि लक्षण दिखाई देते हैं। पशु के पूरे शरीर पर दर्दनाक चकत्ते व गांठे हो जाती हैं जो बाद फुटकर घाव में परिवर्तित हो जाती हैं। उन्होंने बीमारी फैलने के कारणों की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि लम्पी संक्रमित बीमारी है, जो मच्छर, मक्खी व चीचड़ आदि के माध्यम से फैलती है। यह बीमारी पशुओं की लार, दूषित चारा व पानी से भी एक से दूसरे पशु में फैलती है। पशुओं में इस बीमारी का फैलाव दस से 15 प्रतिशत तक है। घरेलू गोवंश में मृत्यु दर एक से दो प्रतिशत है।