किरुना : रमजान का महीना चल रहा है, जिसे मुस्लिमों का पाक महीना माना जाता है। रोजा रखने वालों की सहरी और इफ्तारी का वक्त सूरज के उगने और डूबने के हिसाब से तय होता है। पर यूरोपियन देश स्वीडन के किरुना शहर में लोगों के लिए ये समय तय करना मुश्किल हो गया है। यहां रमजान के दौरान सूरज डूब ही नहीं रहा, जिसके चलते लोगों की मुश्किल बढ़ गई है।
21 दिनों तक नहीं डूबेगा सूरज…
– स्कैंडिनेवियाई प्रायद्वीप (पेनिनसुइला) के किरुना में काफी संख्या में मुस्लिम रमजान मना रहे हैं। इनमें से ज्यादातर शरणार्थी हैं।
– यहां पर 27 मई से लेकर 16 मई तक सूरज ही नहीं डूब रहा है।
– इसके चलते लोगों के लिए सहरी और इफ्तार के वक्त को लेकर लोग कन्फ्यूजन हो रहे हैं।
– यूरोपियन काउंसिल फॉर फतवा और रिसर्च ने 2014 से इसे लेकर गाइडेंस एडवाइज जारी कर रखी है।
– इसमें यहां रह रहे मुस्लिमों को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम का टाइमटेबल फॉलो करने को कहा है।
दो साल पहले ऐसी थी स्थिति
– स्टॉकहोम का टाइम-टेबल फॉलो करने से पहले यहां रोजा रहने वालों को काफी मुश्किलें उठानी पड़ती थीं।
– यहां धार्मिक संस्था से जुड़ी कोई ऐसी सेंट्रल अथॉरिटी नहीं था, जिसने सहरी और इफ्तारी के लिए कोई समय तय कर सके।
– लिहाज़ा, लोग यहां इफ्तारी के लिए चार अलग-अलग टाइम-टेबल का पालन कर रहे थे।
– रमजान की शुरुआत में तो कई लोगों ने सूरज ढलने के इंतजार में 22-23 घंटों बाद इफ्तारी की।
ऐसे बदलते हैं दिन-रात
– आर्कटिक सर्कल या कहें अंटार्कटिक सर्कल पर मौजूद होने की वजह से यहां सूरज इन दिनों आधी रात में भी दिखाई दे रहा है।
– इस साल 27 मई से 16 जुलाई तक का दिन ऐसा ही रहने वाला है। इन दिनों में यहां चांद दिखना नामुमकिन है।
– पूरे दिन सूरज चमकता रहेगा। वहीं, इस साल 11 दिसंबर से 1 जनवरी तक सूरज के दर्शन नहीं होंगे।
– लोगों को 23 दिनों के दौरान पूरे 24 घंटे रात का ही नजारा देखने को मिलेगा।
– यहां हर साल इन दिनों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है।