Faridabad/Alive News: शहर में बढ़ते कुत्तों के आतंक से परेशान होकर ग्रेटर फरीदाबाद वासियों ने नगर निगम अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर सोसाइटी में पालतू कुत्तों को रखने के लिए नए नियम लागू करने की मांग की जा चुकी है। लेकिन एक माह बीतने के बाद भी फरीदाबाद निगम प्रशासन द्वारा पालतू कुत्तों के लिए कोई नियम नहीं बनाए गए है। जबकि देश के अन्य राज्य सरकारों ने जागरूकता दिखाते हुए पिटबुल और विदेशी नस्ल के कुत्तों के पालने पर पूर्णत: रोक लगा दी है।
इन नियमों की है मांग
फरीदाबाद के सोसाइटी वासियों ने नगर निगम प्रशासन से सोसाइटी के प्रत्येक घर में पालतू कुत्तों की संख्या तय करने, प्रत्येक पालतू कुत्ते का पंजीकरण करने, स्ट्रीट डॉग्स के लिए शेल्टर होम बनाने, व्हाट्सएप पर कुत्तों का टीकाकरण करवाने की मांग की जा रही है। लेकिन अब तक फरीदाबाद निगम अधिकारियों की ओर से अभी किसी नियम पर ध्यान नहीं दिया गया है।
-सुमेर खत्री, सोसाइटी निवासी।
नगर निगम से कुत्ते का पंजीकरण आवश्यक किया जाना चाहिए और लोगों को पंजीकरण की एक कॉपी सोसायटी में भी जमा करानी चाहिए। कुत्ते को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाना अनिवार्य है। वहीं विदेशी नस्ल के कुत्तों को छोटे घर में ना पालने के आदेश जारी होने चाहिए, क्योंकि उन्हें दौड़ने खेलने के लिए पर्याप्त जगह की जरूरत होती है। जब भी कुत्ते को बाहर घुमाने ले जाएं तो कुत्ते के मुंह पर जाली लगाकर ले जाएं। कुत्ते को घुमाते समय उसके गले में जंजीर बांधें, पट्टा खोलकर कुत्ते को ना घुमाएं। यदि कुत्ते के साथ लिफ्ट में जाना चाहें तो अकेले ही जाएं, यदि कोई निवासी लिफ्ट में हो या लिफ्ट के इंतजार में हो तो पहले उसे जाने दें।
नगर निगम के पास नही है पालतू कुत्तों का डेटा
सैनिक कॉलोनी निवासी संजय राव ने बताया कि सोसाइटी वासी जिन निगम अधिकारियों से कुत्तों के लिए नए नियम बनाने की उम्मीद लगाए बैठे है। दरअसल, उन अधिकारियों के पास शहर के एक भी पालतू कुत्ते का रिकॉर्ड तक उपलब्ध नही है। लेकिन इन सब के बीच सबसे मजेदार बात यह है कि दिल्ली की एक संस्था पीएफए यहां के स्ट्रीट डॉग्स की देखभाल कर रही है। यह फरीदाबाद प्रशासन के लिए बेहद ही शर्म की बात है।
शहर में आवारा और पालतू कुत्तों के लिए बने ये नियम
संबंधित मामले को लेकर पीएफए संस्था के पदाधिकारी रवि दुबे ने बताया कि फरीदाबाद में अन्य राज्यों की तरह ही पालतू कुत्तों के लिए नए नियम बनने है और लागू होने हैं। तब तक नगर निगम प्रशासन की ओर से सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों की तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए। सबसे पहले निगम को कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या को रोकने की आवश्यकता है और सोसाइटी में पालतू कुत्तों की संख्या निर्धारित करनी चाहिए। इसके अलावा पालतू कुत्तों को रखने के लिए लाइसेंस, पालतू कुत्तों का समय-समय पर टीकाकरण करवाया जाना चाहिए और प्रत्येक पालतू कुत्ते का पंजीकरण कराकर सभी का रिकॉर्ड नगर निगम को अपने पास रखना चाहिए।
उन्होंने बताया कि कई लोग ऐसे भी हैं जो पालतू कुत्तों को सड़क पर आवारा कुत्तों के साथ छोड़ देते हैं, ऐसे में प्रत्येक कुत्ते में एक माइक्रोचिप लगाई जानी चाहिए ताकि अगर किसी कुत्ते की तबीयत खराब हो तो उसकी जानकारी आसानी से मिल सके। वहीं, दूसरी तरफ विदेशी नस्ल के पालतू कुत्तों पर पूरी तरह रोक लगा देनी चाहिए और हिंदुस्तानी कुत्तों को पालने की अनुमति लोगों को दी जानी चाहिए।
कुत्तों के गुस्सैल स्वभाव का कारण
पीएसए संस्था के रवि दुबे ने बताया कि कुत्ते लोगों को यूं ही नहीं काटते। उसके पीछे भी कारण होता है। कई बार देखा जाता है कि एक स्ट्रीट डॉग एक बार में 5 से 6 बच्चों को जन्म देती है। लेकिन वह बच्चे वाहनों के नीचे आकर मर जाते हैं या बीमार होने के कारण दम तोड़ देते हैं। ऐसे में स्ट्रीट डॉग्स आक्रमक हो जाती हैं और वाहनों का पीछा करती है या चालक को काटने की कोशिश करती है। ऐसे में वाहन चालक तो बच जाते है लेकिन पैदल राहगीर इन कुत्तों का शिकार हो जाते हैं।
उन्होंने दूसरा कारण यह भी बताया है कि आजकल देश में भुखमरी अपने चरम पर है और स्ट्रीट डॉग्स को अब खाने पीने के लिए कुछ नहीं मिल रहा। जिसके कारण कुत्ते गुस्से में रहते हैं और कई बार जब लोग कुत्तों को खाने देने के लिए उनके पास जाते हैं तो वह उन पर हमला कर देते हैं।