New Delhi/Alive News: बीते डेढ़ साल से कोरोना देश में अपना कहर बरपा रहा है। नए-नए स्वरूपों के साथ न सिर्फ ज्यादा संक्रामक हो रहा है बल्कि इसके लक्षण भी बदलते जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक इन दिनों दुनियाभर में तेजी से फैलते डेल्टा के स्वरूप से संक्रमित लोग पिछले साल उभरे कोरोना के शुरुआती लक्षणों से अलग अनुभव कर रहे हैं। ब्रिटेन के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि जिसे हम मामूली सर्दी-जुकाम समझ रहे हैं, वह भी अब कोरोना का एक लक्षण हो सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार सभी इंसान विभिन्न प्रतिरक्षा तंत्र के कारण आपस में अलग-अलग हैं। इसके चलते एक ही वायरस इंसानों में कई तरीकों से नए-नए संकेत और लक्षण पैदा कर सकता है। वायरस से होने वाली बीमारी दो अहम कारकों पर निर्भर करती है। पहला, वायरस के अपनी प्रतिकृतयां बनाने की गति और प्रसार का माध्यम। दूसरा, म्यूटेशन के कारण वायरल कारकों का बदलना।
मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना के सामान्य लक्षणों में बदलाव के संकेत मिले हैं। बुखार और खांसी हमेशा से कोरोना के सबसे सामान्य लक्षण रहे हैं। सिर और गले में दर्द भी पारंपरिक रूप से कुछ लोगों में दिख रहा था। लेकिन नाक बहना शुरुआती मामलों में विरला ही था। वहीं, सूंघने की क्षमता खोना बीते साल से ही प्रमुख लक्षण रहा पर वह अब नौंवे स्थान पर चला गया है।
मामूली सर्दी-जुकाम हो सकता है कोरोना
डॉक्टरों का कहना है, हमें डेल्टा के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने की जरूरत है। लेकिन अभी तक सामने आए आंकड़े बताते हैं कि जिसे हम मामूली सर्दी-जुकाम (बहती नाक और गले में दर्द) मान रहे हैं, वह कोरोना का लक्षण भी हो सकता है।
बुजुर्गों में ज्यादा टीकाकरण के बाद अब युवाओं में संक्रमण के मामले बढ़े हैं और उनमें हल्के-मध्यम लक्षण दिख रहे हैं। ऐसा वायरस के क्रमिक विकास और डेल्टा की कई विशेषताओं के कारण भी हो सकता है। लेकिन लक्षण बदलने के पीछे सटीक जवाब अभी तक नहीं मिल सका है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि कोरोना का नया स्वरूप से वैक्सीन का असर कम हो सकता है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ देशों में डेल्टा से बचाव के लिए फाइजर और एस्ट्राजेनेका की दोनों खुराक से पर्याप्त सुरक्षा मिलने की बात सामने आई है। यह दोनों टीके संक्रमण के खिलाफ 90 फीसद तक कारगर मिले हैं।