New Delhi/Alive News: अदालत ने बुधवार को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। वहीं अदालत ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत भी 19 जून तक बढ़ा दी है। आज उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया। उनकी नियमित जमानत याचिका पर 7 जून को सुनवाई होनी है।
अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी। इसके एक दिन बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल के लिए कुछ डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए कुछ निर्देश दिए गए हैं। वीसी के जरिए तिहाड़ जेल से कोर्ट में पेश किए गए केजरीवाल को 19 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अब उन्हें 19 जून को दोपहर 2 बजे अवकाशकालीन जज के सामने पेश किया जाएगा।
केजरीवाल की ओर से पेश हुए वकील विवेक जैन ने कहा कि केजरीवाल के वजन में कुछ बदलाव हुए हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से उचित आवेदन दायर कर यह स्पष्ट किया जाए कि उन्हें किस तरह की राहत चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश एसजीआई तुषार मेहता ने प्रारंभिक आपत्तियां उठाई थीं और कहा था कि अंतरिम जमानत याचिका विचारणीय नहीं है। ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने भी दलील दी थी कि अंतरिम जमानत याचिका दाखिल करके केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं जो स्वीकार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने केजरीवाल को नियमित जमानत के लिए आवेदन करने की छूट दी है, लेकिन अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की कोई छूट नहीं है।
एएसजी ने आगे कहा था कि पीएमएलए की धारा 45 के तहत जमानत देने की कठोरता अनिवार्य है और अंतरिम जमानत याचिका पर फैसला करते समय इसका पालन किया जाना चाहिए। जब तक प्रथम दृष्टया यह मामला नहीं बनता कि कोई अपराध नहीं है, तब तक अंतरिम जमानत के लिए आवेदन मंजूर नहीं किया जा सकता। केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने दलील दी थी कि मुख्यमंत्री की चिकित्सा स्थिति ऐसी है कि अंतरिम जमानत के लिए आवेदन करना जरूरी है। उन्होंने कहा था कि केजरीवाल को प्रचार करना पड़ा क्योंकि अंतरिम जमानत देने का यही उद्देश्य था और तनाव के कारण उनकी मधुमेह की समस्या बढ़ गई है।
केजरीवाल व आप के खिलाफ आरोप
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में दाखिल पूरक आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के मुद्दे पर अदालत ने अपना फैसला टाल दिया है। राऊज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा अब इस मुद्दे पर 9 जुलाई को फैसला लेंगी। न्यायाधीश ने इस मुद्दे पर सभी पक्षों को सुनने के बाद 28 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पत्र पर संज्ञान लेने का फैसला 9 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप पत्र में कहा है कि राजधानी में शराब के व्यापार में निवेश करने की एवज में पंजाब के व्यापारियों से भी रिश्वत ली गई थी। आम आदमी पार्टी (आप) शासित पंजाब के उन व्यापारियों को पड़ोसी राज्य में शराब कारोबार में निवेश नहीं करने दिया गया, जिन्होंने रिश्वत नहीं दी थी। पहली बार धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत किसी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।