November 24, 2024

डबुआ-पाली सड़क है या कीचड़ का तालाब

सरकारें चली गई नही बदले वार्ड-9 का हालात

फरीदाबाद,(शफी सिद्दकी)/ Alive News : आज जहां पूरा देश सूखे के गिरफ्त में है वहीं फरीदाबाद के दो गावं डबुआ-पाली को मिलाने वाली मुख्य सडक़ कीचड़ के तालाब में तब्दील हो चुकी है। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री निर्मल गावं का नारा देते नहीं थक रहे हैं, लेकिन प्रशासन की नजरअंदाजी के कारण देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्य्मंत्री की गावं के लिए बनाई गयी योजनाएं यहां धत्ता साबित हो रही है। इस बदहाली से गावं ही नहीं बल्कि इस सड़क  से लगने वाली कालोनियां भी अपनी दुर्दसा पर आसूं बहा रही हैं।
एनआईटी विधानसभा क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत बड़ा एरिया है, इसमें दर्जनों कालोनी और एक दर्जन से ज्यादा गांव आते है। जिनमें अभी तक विकास के नाम पर आश्वासन के अलावा एक ईंट तक नहीं लगाई गई है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण वार्ड-9 के बीचों-बीच से गुजरने वाली डबुआ-गांजीपुर रोड़ है। इस सड़क  से आए दिन हजारों लोग आवागमन करते है फिर भी सड़क कीचड़ और पानी से लबालब है। इस सड़क पर तीन निजी और एक सरकारी स्कूल है जिसमें हजारों बच्चे कीचड़ के दरिया को पार करके स्कूल पहुंचते है। अगर, किसी दिन बरसात अपना विकराल रूप धारण कर लेती है तो बच्चों को स्कूल की तब तक छुट्टियां करनी पड़ती है, जब तक वह तालाब पानी से आधा न हो जाए।

गॉंवसियों के दुखड़े को सुन कर यह कहने में कोई हर्ज नही होगा कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाये जाने वाली तमाम जनहितैषी योजनाओं का खुलेआम प्रशासन द्वारा गला घोंटा जा रहा है। जिससे न सिर्फ केंद्र व राज्य सरकार की छवि को धूमिल हो रही है, बल्कि सरकार के खिलाफ लोगों में रोष पनप रहा है जिससे मुख्यमंत्री, क्षेत्रीय सांसद और विधायक को इन खामियों की नजरअंदाजी करने पर आने वाले चुनावों में भारी हर्जाना भुगतना पड़ सकता है।

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डबुआ-गांजीपुर रोड़ का अधिकारी तीन बार करा चुके है उद्घाटन

बड़े मजे की बात तो यह है कि अधिकारी सरकार के विधायक मंत्रियों को गुमराह कर डबुआ-गांजीपुर रोड़ के निर्माण के लिए तीन बार उद्घाटन करा चुके है लेकिन क्षेत्र के पानी की निकासी का कार्यक्रम फाईलों में ही दम तोड़ देता है। इतना ही नहीं पिछली सरकार में पानी निकासी के लिए डबुआ गांजीपुर रोड़ के एक तरफ के नाले का निर्माण कार्य करीब 500मी. तक कराया गया। लेकिन सरकार बदलने के बाद निगम के बदमाश अधिकारियों ने बजट का रोना-रोकर कार्य बंद कर दिया। जिससे आज इस सड़क  के आस-पास की कालोनी गंदे पानी से लबालब है। लोग नरकीय जीवन जीने पर मजबूर है।

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क्या कहना है मजबूर जनता का?

भले ही जनता जनार्दन चुनाव में नेता के वायदो की कटपुतली बनकर रहते हों लेकिन जब उनकी समस्यां का निवारण नहीं होता तो उसके लिए वो किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते है। ऐसा ही उडिय़ा कालोनी में रहने वाले समाजसेवी मेहरचंद हरसाना का कहना है कि मैं इस क्षेत्र में काफी वर्षो से रह रहा हूं। समाजसेवा के साथ-साथ क्षेत्र के लोगों की मूलभुत सुविधाओं को लेकर शासन प्रशासन के साथ लड़ता आ रहा हूं लेकिन चुनाव जीतने के बाद यहां कोई नेता फटकता तक नहीं है। उन्होंने कहा कि कालोनी के लोग निगम को हाऊस टैक्स और डेवलप्मेंट चार्ज देते आ रहे है लेकिन डेवलप्मेंट तो कहीं दिखाई नहीं देता सिर्फ जनता से चार्ज ही लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्दी्रय राज्यमंत्री और स्थानीय विधायक को क्षेत्र के लोगों की सुध लेनी चाहिए। जिससे लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ पनप रहा रोष कम हो सके।

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विधायक नागेंद्र भड़ाना की कार्यशैली पर लोग उठा रहे है उंगलियां

क्षेत्र के लोगों में विधायक की कार्यशैली को लेकर जमकर नारे बाजी और प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन विधायक के कानों पर जंू तक नहीं रेंग रही। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के बाद से विधायक ने उडिय़ा कालोनी, गांजीपुर रोड़ के क्षेत्र में कदम तक नहीं रखे हैं। अपनी समस्याओं को लेकर अगर उनसे शिकायत भी की जाती है तो उसे उनके छोटे भाई जोकि पार्षद के सपने देखते है को डस्टबिन में डालकर भूल जाते है। लोगों का विधायक पर यह भी आरोप है कि विधायक ने धोखे से उन्हें झूठा आश्वासन देकर अपनी ताजपोशी करा ली और अब उनकी सुध लेने तक नही आते।