May 20, 2024

जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए बाल स्वराज पोर्टल बनाया : नरेश नरवाल

Palwal/Alive News : उपायुक्त नरेश नरवाल ने बताया कि कोविड-19 की परिस्थितियों के मद्देनजर जरूरतमंद बच्चों की समस्या के समाधान के लिए राष्टï्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने ऑनलाइन ट्रैकिंग पोर्टल बाल स्वराज (कोविड-केयर लिंक) तैयार किया है, ताकि जरूरतमंद बच्चों का डाटा तैयार कर उनकी उचित देखभाल व सुरक्षा की जा सके।

उपायुक्त ने बताया कि जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) व संबंधित अधिकारी इस पोर्टल पर जरूरतमंद बच्चों का डाटा अपलोड करने के लिए जरूरी डाटा एकत्रित करें, ताकि ऐसे बच्चों की उचित देखभाल व सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस पोर्टल का उपयोग उन बच्चों को ट्रैक करने के लिए भी किया जाएगा, जिन्होंने कोविड-19 के दौरान अपने माता-पिता में से दोनों या किसी एक को खो दिया है। ऐसे बच्चों का डाटा अपलोड करने के लिए संबंधित अधिकारी या विभाग को पोर्टल पर कोविड-केयर लिंक प्रदान किया गया है।

उन्होंने बताया कि जिन बच्चों के पास कोई पारिवारिक समर्थन नहीं है या फिर उनके पास निर्वाह के लिए स्पष्ट साधन नहीं हैं, उनकी किशोर न्याय (देखभाल एंव संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 2(14) के तहत मदद की जाएगी। उन्होंने वर्तमान कोविड-19 के कारण माता-पिता में से एक या दोनों के खोने जैसी स्थितियों के मद्देनजर जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यदि इस तरह का कोई मामला हो तो वह 8 जून तक अपना आवेदन महिला एवं बाल विकास विभाग पलवल के जिला कार्यक्रम अधिकारी के कार्यालय में जमा करवा दें। बाल स्वराज पोर्टल कोविड-केयर लिंक के तहत महामारी के बीच देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों की डिजिटल निगरानी और ट्रैकिंग में सहायता करेगा।

पोर्टल के लिए आईडी और पासवर्ड पहले ही जिला बाल संरक्षण इकाइयों (डीसीपीयू) के साथ सांझा किया जा चुका है और इस पोर्टल पर मार्च 2020 के बाद के कुल एक हजार 519 बच्चों का डाटा अब तक अपलोड किया जा चुका है। ऐसे बच्चों की पहचान के लिए उपायुक्त और नगर आयुक्त शहरी क्षेत्रों में सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी दी है और ग्रामीण एवं शहरी स्लम क्षेत्रों के आईसीडीएस परियोजनाओं में जिला कार्यक्रम अधिकारियों को आईसीडीएस या डीसीपीयू पदाधिकारियों के माध्यम से निर्धारित प्रोफार्मा के अनुसार सर्वेक्षण करने के लिए जिम्मेदार दी गई है। उन्होंने बताया कि पोर्टल पर जानकारी एकत्रित होने पर बच्चे को उसकी पात्रता, लाभ और हकदार मौद्रिक लाभ मिल रहा है।