November 17, 2024

शिष्टाचार, सदाचार बेहतर जिंदगी दे सकते हैं: डॉ एमपी सिंह

आज पूरे देश में वर्ल्ड एडल्ट डे मनाया जा रहा है इस अवसर पर भारत वर्ष के प्रसिद्ध शिक्षाविद व समाजसेवी डॉक्टर MP सिंह का मानना है कि वर्तमान समय में शिक्षा संस्कार और सभ्यता में परिवर्तन आ चुका है जिससे अधिकतर बुजुर्ग लोग पीड़ित हो चुके हैं जब कोई भी इंसान व्यवहार करता है और संतान उत्पन्न करता है तो यही सोच होती है कि यह बच्चा पढ़ लिख कर अपने माता पिता की सेवा करेगा जनहित व राष्ट्रहित में कार्य करेगा, अपनी भारतीय सभ्यता का पालन करेगा और मर्यादा में रहकर हर रिश्ते का निर्वाहन करेगा. लेकिन आज उलट ही हो रहा है. अधिकतर बच्चे सफलता के शॉर्टकट को अपनाकर बहुत इकबाल की चकाचौंध की जिंदगी जी रहे हैं. कोई माता-पिता व अभिभावक नहीं चाहता है कि वह अपने नाती-पोतों से दूर रहे लेकिन अधिकतर बच्चे अपने माता पिता को वृद्धा आश्रम का रास्ता दिखा देते हैं.

डॉ एमपी सिंह कहना है कि मां बाप से बढ़कर कोई भी देवी देवता नहीं होता है. उनकी सेवा ही मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे व चर्च की पूजा है. सच्ची जन्नत तो मां बाप और गुरु के चरणों में है. नन्हे मुन्ने बच्चे को पालते समय मां गीले में सोती है और अपने लाडले को सूखे में सुलाती है जो बालक मांगता है उसे वह सब कुछ देती है. उसकी हर फरमाइश को पूरा करती है चाहे भले ही उसे कुछ भी करना पड़े. यहां तक की महिलाएं अपने बच्चे की परवरिश करते वक्त अपने तन का भी ध्यान नहीं रखते हैं उसकी गलतियों पर हमेशा पर्दा डालती हैं क्योंकि सभी मां वात्सल्यमई ममतामई करुणामई दया के सागर कृपानिधान पूजनीय वंदनीय प्रार्थनीय होती है और अपने बच्चे की भलाई के लिए दुनिया से लड़ जाती है. लेकिन वही बच्चा बड़ा होकर अपनी मां में अनेकों कमियां निकालने लगता है और पत्नी के प्रभाव के दबाव में आकर गलत फैसले ले लेता है जिससे परिवार उजड़ जाता है और मां बाप की जीते जी नृशंस हत्या हो जाती है. जो लोग अपने मां बाप और गुरु का सम्मान करते हैं, आए हुए अतिथियों का स्वागत व सत्कार करते हैं रिश्तो को बेहतर बनाने का प्रयत्न करते हैं उनके जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता है, और ना ही मैन मेड डिजास्टर पैदा होता है. जो मां बाप अपने बच्चों से अलग रह कर अपने जीवन यापन करते हैं उनकी आत्मा को बहुत दुख होता है लेकिन दुखी आत्मा से भी कोई भी मां-बाप अपने बच्चों को बद्दुआ नहीं देता है. वह हमेशा अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं और सुख शांति में जीवन यापन करने की मंगल कामना करते हैं.

डॉ एमपी सिंह एक उच्च कोटि के मोटिवेटर लेखक ट्रेनर वह करियर काउंसलर है उनका मानना है कि हम सभी ने कभी न कभी मां-बाप का रूप को धारण करना है जब ऐसा हमारे साथ होगा तो क्या होगा? अधिकतर महिलाएं कहती हैं कि मेरा बेटा श्रवण कुमार की तरह हो लेकिन अपने पति को श्रवण कुमार नहीं बनने देती है. यह सोच का फर्क है पहले अपने पति को श्रवण कुमार बनाएं आपका बच्चा तो अपने आप ही श्रवण कुमार बन जाएगा सुमति पर काम करना चाहिए. वैष्णो मार्ग को अपनाकर ही हम अपनी भारतीय सभ्यता व संस्कृति को बचा सकते हैं. पहले यह देश विश्व गुरु था अब भी यह विश्व गुरु बन सकता है यदि हम उत्तम व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अपने बच्चों को प्रदान कर दें और प्रेमपूर्वक ईमानदारी से सजगता से अपने जीवन यापन को करें और पूर्ण जिम्मेदारी के साथ अपने मां बाप की सेवा करें, अपने परिवार का निर्वहन करें बहन बेटियों का सम्मान करें. यदि मां-बाप को किसी प्रकार की कमी होती है तो समझ लो कि कोई ना कोई ग्रह-नक्षत्र लागू हो चुका है हमें रोजाना अपने बुजुर्गों का पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए और उनके साथ बैठकर गपशप मारनी चाहिए. उनका हाल-चाल भी अवश्य लेना चाहिए यदि आप ऐसा करते हैं तो सफलता आपके कदम चूमेगी और सारे ग्रह नक्षत्र स्वत ही ठीक हो जाएंगे किसी पंडित मौलवी तांत्रिक के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.