Delhi/Alive News: पटियाला हाउस कोर्ट ने विवादित प्रशिक्षु सिविल सेवा अधिकारी (आईएएस) पूजा खेड़कर की अग्रिम जमानत याचिका पर अदालत गुरुवार को आदेश पारित कर सकती है। मामले की सुनवाई के दौरान पूजा खेड़कर की तरफ से पेश अधिवक्ता ने गिरफ्तारी से राहत मांगते हुए अपना पक्ष दाखिल किया।वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश विशेष लोक अभियोजक ने हिरासत में पूछताछ को जरूरी बताते हुए अग्रिम जमानत को खारिज करने की मांग की।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र जांगला ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला एक अगस्त के लिए सुरक्षित रख लिया। न्यायाधीश ने यूपीएससी की ओर से पेश अधिवक्ता नरेश कौशिक से पूछा कि क्या यह यूपीएससी की विफलता है कि उसने ऐसा होने दिया या आवेदक की अति-विशेषज्ञता (स्पेशलाइजेशन)। यूपीएससी से पूछा कि क्या उन्हें पता था कि पूजा खेड़कर द्वारा प्रयासों की जानकारी छिपाई जा रही है।
अदालत ने दिल्ली पुलिस से मामले के शुरुआती चरण में खेड़कर को गिरफ्तार करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया। दिल्ली पुलिस ने हाल ही में यूपीएससी द्वारा दायर एक शिकायत पर खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसमें उन पर दस्तावेज और पहचान बदलकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से परे धोखाधड़ी से प्रयास करने का आरोप लगाया गया था।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अतुल श्रीवास्तव ने खेड़कर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए दलील दी अगर उसे अग्रिम जमानत दी जाती है तो वो पुलिस के साथ सहयोग नहीं करेगी। वो वह बार-बार अपना बयान बदल रही है। अधिवक्ता ने पूजा की हिरासत की मांग करते हुए दलील दी कि मामले में जांच अभी शुरुआती चरण में है।
पूजा ने अपनी खामियों का फायदा उठा कर तथ्यों को छुपाया। उन्होंने पहले मानसिक बीमारी को आधार बनाया गया, फिर बहु दिव्यांगता (मल्टीपल डिसएबिलटी) कहने लगीं। यूपीएससी को धोखा देने के लिए जानबूझकर अपना नाम बदला और किसी को भी अपने प्रयासों की संख्या के बारे में नहीं बताया। इसलिए उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है।
खेडकर की ओर से पेश अधिवक्ता बीना माधवन ने दलील दी कि उनकी मुवक्किल के खिलाफ मामला इसलिए दर्ज किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने पुणे कलेक्टर के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि मीडिया ने उनके खिलाफ जांच की है। यूपीएससी की शिकायत में झूठा दावा किया गया है कि उसने अपना नाम बदलकर अनुमेय सीमा से अधिक परीक्षा दी। अधिवक्ता ने दलील दी कि खेड़कर ने जानकारी नहीं छिपाई, उसने बस अपने प्रयासों की संख्या गलत बताई।
अधिवक्ता ने कहा कि एम्स में आठ डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा जारी खेड़कर का दिव्यांगता प्रमाण पत्र अदालत में जमा किया गया है। मूल यूपीएससी के पास है। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल को अपना बचाव करने का पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए।सुनवाई के दौरान, अदालत ने खेड़कर के अधिवक्ता के इस दावे कि हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश के जरिए अतिरिक्त प्रयास करने की अनुमति दी गई थी पर अधिवक्ता से हाईकोर्ट के आदेश की प्रति मांगी।
यूपीएससी की ओर से पेश अधिवक्ता नरेश कौशिक ने पूजा के दावे का विरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने कोई निर्णय नहीं दिया है कि वह अतिरिक्त परीक्षाओं में बैठने के योग्य हैं। अधिवक्ता ने दलील दी कि हम कोई जांच एजेंसी नहीं हैं। सिस्टम को धोखा देने वाले इस प्रकार के व्यक्तियों से बहुत गंभीरता से निपटा जाना चाहिए। इस मामले में अग्रिम जमानत की जरूरत नहीं है चूंकि पूजा के संपन्न महिला हैं और कानून का दुरुपयोग करने की संभावना अभी भी बनी हुई है।