November 16, 2024

दम्पति ने थाना प्रभारी पर डरा-धमका कर साईन कराने का लगाया आरोप

पुलिस और रिकवरी विभाग हड़पना चाहता है मकान

Faridabad/Alive News : थाना एनआईटी प्रभारी ने एक दम्पति को मकान सील करने का डर दिखाकर एक कोरे कागज पर एक करोड़ दस लाख बैंक की देनदारी लिखा ली और जाते-जाते यह धमकी भी दी कि अगर ज्यादा सिफारिश लगवाई, तो मकान का सामान बाहर फैकवा दूंगा। इस मामले से लगता है कि पुलिस अब लॅायन ऑडर कन्ट्रोल करने की बजाय, मकानों में कब्जा करवाने, सामान बाहर फेकने का काम करने लगी है। थाना एनआईटी द्वारा मकान-दुकान खाली कराने के कॉन्ट्रैक्ट लेने की खबरों ने तूल पकड़ा हुआ हैं। इस तरह के कई मामले पुलिस आयुक्त के पास पहुंच रहे है। फिर भी थाना प्रभारी अपनी डयूटी बैखोफ निभा रहे हैं।

ऐसा ही एक मामला थाना एनआईटी का है, जिसमें थाना प्रभारी पर 5जे/33ए की किरण भाटिया व उनके पति जोगी भाटिया को थाने बुलाकर डराने धमकाने की कोशिश का आरोप लगाया है। क्षेत्र के लोगों के अनुसार जब से थाना प्रभारी मित्रपाल ने थाने में कार्यभार संभाला है, तब से क्षेत्र के कई मकान-दुकान मालिकों पर फाईनेशर और रिकवरी की तलवार लटकने लगी हैं। इस तरह के लोगों पर पुलिस मिलीभगत कर वसूली का दबाव बना रही हैं। शहर के लोगों को फिर से निवर्तमान पुलिस आयुक्त सुभाष यादव याद आने लगे हैं। सुभाष यादव पुलिस आयुक्त के समय बिल में छुपे फाइनेंशर अब बाहर आ चुके है। फाइनेंशरो की सक्रियता का दबाव आम जनता पर देखा जा रहा है।

ज्ञात रहे कि इस मामले का खुलासा उपायुक्त को दिए एक शिकायत पत्र से हुआ है। 5जे/33ए निवासी किरण भाटिया ने उपायुक्त को अपनी शिकायत में बताया कि मैंने 150 वर्ग गज के एक मकान का फुल फाईनल एर्गीमेंट 16 अगस्त 2014 को गोविन्द राम से कराया था। हालांकि मैं इस मकान में 11 मार्च 2008 से रह रही हूं। इस दौरान आईसीआईसीआई बैंक की ओर से सन् 2014 से पहले कोई नोटिस या बैंक लोन की मुनादी नहीं कराई गई। करीब 6 साल बाद मेरे मकान पर बैंक की रिकवरी ब्रांच से एक अधिकारी आता है और वह सुधीर कुमार पुत्र नरेन्द्र कुमार के बारे में पूछताछ करता है, उसके बावजूद भी वह आईसीआईसीआई बैंक के लोन के बारे में कोई स्पष्ट नहीं बताता है। जांच के बाद आईसीआईसीआई बैंक से पता चलता है, कि इस मकान पर बैंक कर्मियों से मिलीभगत कर सुधीर कुमार ने मकान की कीमत से ज्यादा लोन लिया हुआ है।

इस धोखाधड़ी की शिकायत मैंने 19 सितम्बर 2014 को थाना एनआईटी में सभी कागजात के साथ दी। लेकिन पुलिस ने न तो धोखाधड़ी करने वाले सुधीर कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकद्दमा दर्ज किया न ही बैंक से पुलिस ने इतने बड़े लोन की जांच की। बड़े मजे की बात तो यह है कि सुधीर कुमार ने बैंक लोन के बावजुद भी तेहसीलदार से मिली भगत कर फर्जी रजिस्ट्ररी करा दी। आखिरकार बैंक के लोन का भुगतान सात साल तक भी न होने पर बैंक चुप क्यों रहा? हालांकि उक्त मामला माननीय अदालत में विचाराधीन है। शिकायत कर्ता महिला ने बताया कि मामला हद से ज्यादा बढ़ता देख मैंने और मेरे परिवार ने अदालत की शरण ली है और धोखाधडी करने वाले सुधीर कुमार, ललिता बिरमानी और गोविन्दराम के खिलाफ मामनीय न्यायालय ने नोटिस जारी कर दिए है।