November 5, 2024

दावे फ़ैल : बढ़ने के बजाय कम हो गई सरकारी स्कूलों की संख्या

केंद्र सरकार लगातार शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे विकास के दावे कर रही है, लेकिन हकीकत कुछ और है. दरअसल शिक्षा का मंदिर माने जाने वाली स्कूलों में पिछले साल के मुकाबले कमी आई है. आइए जानते हैं क्या कहते हैं सरकारी आंकड़ें…

सरकार की ओर से लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों की संख्या में कमी आई है. इन आंकड़ों के अनुसार देश में सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ने की बजाय कम हो गई है.

सरकार ने बताया कि देश में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में कमी आई है, हालांकि यह कमी मामूली है. लोकसभा में राजेश रंजन के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि ‘एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (यूडीआरएसई) के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों की संख्या में थोड़ी कमी आई है.

आंकड़ों के अनुसार स्कूलों की संख्या साल 2014-15 में 7.12 लाख से घटकर 2015-16 में 7.08 लाख हो गई है. कुशवाहा ने यह भी कहा है कि स्कूलों को खोलना और बंद करना राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों का विषय है.

वहीं पिछले साल आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2010 से 2016 तक भारत के 20 राज्यों के सरकारी स्कूलों में होने वाले एडमिशन में 1.3 करोड़ की गिरावट आई है. जबकि निजी स्कूलों में इसी दौरान 1.75 करोड़ नये छात्रों ने एडमिशन लिया है.

रिपोर्ट की मानें तो पिछले 5 वर्षों के दौरान लाख कोशिशों और बड़े स्तर पर खर्च करने के बावजूद सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में हर साल गिरावट दर्ज की जा रही है. जबकि अक्सर विवादों में फंसे रहने के बावजूद निजी स्कूलों में औसत दाखिले में हर साल इजाफा हो रहा है.