November 15, 2024

प्रॉपर्टी फ्रॉड और कबूतरबाजी के शिकार हो रहे शहरवासी

Chandigarh/Alive News : विदेश भेजने के नाम पर और प्रॉपर्टी धोखाधड़ी, जाली कागजात पर मकान नाम करने व लोन लेने के मामलों में चंडीगढ़ के लोग शिकार हो रहे हैं। आनन-फानन में लोग लाखों रुपये गंवाकर आराम से बैठ जाते हैं। चंडीगढ़ पुलिस के पास पिछले साल 2016 में धोखाधड़ी के 188 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 36 विदेश भेजने के मामले और 45 मामले प्रॉपर्टी फ्रॉड के दर्ज हैं। जबकि उनके पास दो हजार से ज्यादा शिकायतें आई थीं। इसके अलावा 2017 में दो महीने के अंदर करीब पचास शिकायतें आ चुकी हैं। पुलिस ने अब तक छह मामले दर्ज किए हैं।

50 लाख की ज्यादा धोखाधड़ी केस देखेगी अपराध शाखा : चंडीगढ़ पुलिस की अपराध शाखा अब पचास लाख से ज्यादा की धोखाधड़ी के कसों की जांच करेगी। इससे कम की धोखाधड़ी केसो की जांच का जिम्मा पुलिस स्टेशन पर रहेगा। पुलिस अधिकारियों के सामने आया था कि छोटी रकम के केसों में जांच अधिकारियों का समय काफी लग जाता है इसलिए बढ़े केसों में पुलिस अधिकारी फोकस कर तह तक जा सकते कैं। इससे पहले आर्थिक अपराध शाखा 20 लाख से ज्यादा के केस की जांच करती थी।

प्रॉपर्टी विवाद में फंसे थे डीएसपी और सब इंस्पेक्टर : चंडीगढ़ में प्रॉपर्टी विवाद के काफी मामले पुलिस के पास आते हैं। प्रॉपर्टी विवाद को लेकर ही आर्थिक अपराध शाखा के पूर्व डीएसपी रामचंद्र मीणा और सब इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार समेत अन्य दलाल एक करोड़ 35 लाख की रिश्वत मामले में सीबीआइ ने दबोचे थे।

डीआइजी खुद करते हैं सुपरविजन
लाखों रुपये की धोखाधड़ी के केसों पर खुद डीआइजी और एसपी नजर रखते हैं। कोई भी मामला दर्ज होने से पहले डीआइजी जांच अधिकारी को परमिशन देते हैं। जांच अधिकारी और डीएसपी पूरे केस के फेक्ट एसपी को बताते हैं। एसपी को संतुष्ट करने के बाद फाइल डीआइजी के पास जाती है, वहां पर केस की जांच होने के बाद मामला दर्ज होने के आदेश होते हैं।