November 6, 2024

स्कूल में बच्चें पढ़ेंगे किसान आंदोलन का पाठ

Chandigarh/Alive News: पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) रद्द किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से चले किसान आंदोलन को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की योजना बना रही है। कई शिक्षक संघ लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को पीएसईबी के चेयरमैन प्रोफेसर योगराज से मुलाकात की। इसके अध्यक्ष विक्रमदेव सिंह ने कहा कि जिस तरह से आंदोलन ने केंद्र सरकार के ‘दमनकारी हमले’ का विरोध किया, यह छात्रों को एकजुट रहने की शक्ति के बारे में सिखाएगा और उन्हें लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों के बारे में जागरूक करेगा। उन्होंने कहा, ‘पंजाब के समकालीन इतिहास में कृषि संघर्ष सबसे उल्लेखनीय अध्यायों में से एक है। हमने हमेशा महसूस किया है कि अगर इसे स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए तो छात्र बहुत कुछ सीख सकते हैं।’

शिक्षकों ने शहीद भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, उधम सिंह, डॉ. बीआर अंबेडकर, बाबा जीवन सिंह, सावित्रीबाई फुले, माई भागो और चार साहिबजादों जैसे भारतीय इतिहास के प्रमुख नामों के जीवन व विचारों को भी स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की मांग की है।

पीएसईबी के चेयरमैन प्रो. योगराज ने संपर्क करने पर बताया कि कई यूनियनों ने यह मांग रखी है। उन्होंने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर निष्पक्ष दृष्टिकोण रखने के लिए विद्वानों की एक समिति बनाएंगे। कोई भी निर्णय लेने से पहले, हमें यह मूल्यांकन करने की आवश्यकता है कि क्या कृषि संघर्ष को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों को मदद मिलेगी।’

विभिन्न किसान यूनियनों के नेतृत्व में किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में 26 नवंबर, 2020 को दिल्ली तक मार्च शुरू किया था। दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचने से पहले उन्होंने पुलिस कार्रवाई सहित कई बाधाओं का सामना किया। किसान लगभग एक साल तक टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर डटे रहे। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा विवादास्पद कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद ही विरोध बंद किया गया था।