Faridabad/Alive News : वकीलों और जजों के बीच चला आ रहा गतिरोध आखिरकार समाप्त हो गया। बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल.एन. पाराशर पर हाईकोर्ट में फरीदाबाद कोर्ट के न्यायाधीश रहे जज सुनील कुमार द्वारा दर्ज कराए गए न्यायालय की अवमानना के मामले में पाराशर की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस मामले को हाईकोर्ट द्वारा समाप्त कर दिया गया है। जिसको लेकर हरियाणा पंजाब हाईकोर्ट सहित एनसीआर की अदालतों में प्रेक्टिस कर रहे वकीलों ने खुशी जाहिर की है। वकीलों ने विश्वास जताया है कि हाईकोर्ट के इस निर्णय से निश्चित तौर पर वकीलों एवं जजों का आपसी सदभाव बढ़ेगा।
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि एडवोकेट एल.एन. पाराशर पर न्यायालय की अवमानना का मामला दर्ज होने के बाद वे न्यायपालिका में सुधार को लेकर सडक़ों पर उतर पड़े थे। उनके साथ उनके नेतृत्व में न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के बैनर तले सैंकड़ों वकीलों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर जाकर धरना भी दिया और न्यायपालिका की कमियों को लेकर उन्हें सुधारने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के नाम एक ज्ञापन भी दिया। श्री पाराशर का यह कदम चर्चाओं में रहा और वकीलों की मांग अनुसार भारत सरकार ने कुछ मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए भारतीय न्यायपालिका में कई अहम सुधार भी किए।
बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट एल.एन. पाराशर ने कहा कि वे न्यायपालिका की बहुत इज्जत करते हैं और ईमानदार जजों का दिल से सम्मान करते हैं। उनकी इस भावना को हाईकोर्ट के माननीय जज ने समझा और उनकी अपील को मंजूर करते हुए न्यायालय की अवमानना के मामले से उन्हें बरी कर दिया। जिसके लिए वे तहेदिल से न्यायपालिका का शुक्रिया अदा करते हैं। अगर जज व वकील मिलकर न्यायपालिका की विसंगतियों को समझ कर एक-दूसरे पर भरोसा करके कार्य करेंगे तो निश्चित तौर पर देश के करोड़ों लोगों को आसानी से न्याय मिल सकेगा।
पाराशर ने कहा कि वकीलों के हित में उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। सही मायनों में तो नये वकीलों को दो वर्ष तक सरकार द्वारा 20 हजार रुपए मासिक भत्ता दिया जाना चाहिए जिससे वे ईमानदारी के रास्ते पर चलकर प्रेक्टिस कर सकें। इसके अलावा वकीलों को कम रेट में फ्लैट, मकान इत्यादि की सुविधा मिलनी चाहिए जिससे वकील भी इस महंगाई के दौर में अपने परिवार के साथ आसानी से जीवन-यापन कर सकें।
कोर्ट के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को और अधिक सुविधाएं मिलनी चाहिए जिससे इन गरीबों का भी जीवन भी बेहतर हो सके। उन्होंने कहा कि लोगों का प्रशासन से विश्वास उठ रहा है लेकिन न्यायपालिका पर लोगों को अभी भी विश्वास है। इसके लिए ईमानदार जजों का सार्वजनिक तौर पर अभिनन्दन होना चाहिए जिनके कारण यह कानून व्यवस्था टिकी हुई है।