Lifestyle/Alive News: चावल एक स्टेपल डाइट है, जो दुनिया में लगभग सभी चाव से खाते हैं। भारत में खास तौर से इसका महत्व है, क्योंकि दाल के साथ चावल का मेल ही एक भारतीय थाली को पूरा करता है। आमतौर पर लोग सफेद चावल यानी व्हाइट राइस खाते हैं, जिससे लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में खाने से ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो सकता है।
इससे मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और अन्य बीमारियां होने का खतरा बना रहता है, क्योंकि इसमें अन्य राइस की तुलना में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसे में डायबिटीक लोग ब्राउन राइस खाते हैं, जो कि एक हेल्दी विकल्प माना जाता है। लेकिन इसी श्रेणी में ब्लैक राइस का प्रचलन भी बढ़ा है, जो कई मायनों में फायदेमंद माना जा रहा है।
ब्लैक राइस क्यों है ब्लैक?
इस रोचक तथ्य को जानने के लिए इस राइस में मौजूद तत्वों को समझना जरूरी है। दरअसल, काले चावल में एंथोसायनिन नाम का एक पिगमेंट पाया जाता है, जो इसके काले रंग के लिए जिम्मेदार होता है। ये एक बेहतरीन एंटी ऑक्सीडेंट है. इसलिए ये राइस ब्लैक रंग का होता है।
ब्लैक राइस के फायदे
ब्लैक राइस विटामिन, अमीनो एसिड, फ्लेवोनॉयड और ढेर सारे मिनरल का बेहतरीन स्रोत है।
ब्लैक राइस में भरपूर फाइबर पाया जाता है, जिसके कारण ये कब्ज से राहत दिलाने में बहुत सहायक है। फाइबर की अधिक मात्रा के कारण ये कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कंट्रोल में रखता है। इस तरह ये पाचन शक्ति बढ़ाने के साथ हार्ट हेल्थ के लिए भी बेहद फायदेमंद है।
ब्लैक राइस ढेर सारे फाइटोन्यूट्रिएंट और एंटी ऑक्सीडेंट का भंडार है। ये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से शरीर को बचाते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण कैंसर जैसी घातक बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। इसलिए ब्लैक राइस के सेवन से एंथोसायनिन, ग्लाइकोसाइड, कैरोटेनॉयड और फ्लेवोनॉल जैसे एंटी ऑक्सीडेंट शरीर को बीमारियों से बचने में मदद करते हैं।
ब्लैक राइस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 42 से 50 के बीच होता है, जिससे शुगर स्पाइक नहीं होता है। इस कारण ये डायबिटिक लोगों के लिए राइस का बेहतरीन विकल्प है।